देवल संवाददाता, लखनऊ ,झांसी।महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी में आग लगने के मामले में शासन ने कमेटी गठित कर दी है। कमेटी को सात दिन में रिपोर्ट देनी है। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज में आग लगने के बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा तत्काल मौके पर पहुंचे। पूरे मामले की तस्दीक की। दोपहर बाद चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यी कमेटी का गठन कर दी गई है। इस कमेटी में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (स्वास्थ्य),अपर निदेशक विद्युत एवं अग्निशमन महानिदेशक की ओर से नामित अधिकारी को शामिल किया गया है। कमेटी को सात दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। यह कमेटी आग लगने के कारणों, किसी भी प्रकार की लापरवाही हुई है तो दोष की पहचान करेगी। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटना न होइसके लिए बचाव की सिफारिशें भी करेगी।
दोषी के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। भर्ती बच्चों के उपचार के पुख्ता इंतजाम किएगए हैं। पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। कमेटी की रिपोर्ट कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। -- ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री
10 बच्चों की हो गई थी मौत
बताते चलें कि महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है। इस अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात में बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। आग में जलकर 10 बच्चों की मौत हो गई। घटना में अन्य 16 बच्चे घायल होकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिस वार्ड में आग लगी, उसमें कुल 55 बच्चे थे।
आग बुझाने के उपकरण एक्सपायर मिले
घटना के बाद के बाद बात अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और अस्पताल में रखे आग बुझाने वाले उपकरण पर पहुंच गई। कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण एक्सपायर हो गए थे और अलार्म खराब थे।
सरकार बच्चों और परिवारों के साथ खड़ी है
इसके बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने कहा, 'योगी आदित्यनाथ सरकार बच्चों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है। हमारे कर्मचारियों, डॉक्टरों और बचाव दल ने बच्चों को बचाने के लिए बहादुरी से काम किया है। मेडिकल कॉलेज में सभी अग्निशमन उपकरण पूरी तरह से ठीक थे। यहां फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया था। जून में एक मॉक ड्रिल भी आयोजित की गई थी।
146 अग्निशामक यंत्र लगे हुए हैं
वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने भी इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, 'मेडिकल कॉलेज में कुल 146 अग्निशामक यंत्र लगे हुए हैं। हादसे के वक्त एनआईसीयू वार्ड के अग्निशामक यंत्र का भी इस्तेमाल किया गया था। इन सभी उपकरणों का समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान जो कमियां सामने आती हैं, उन्हें हटा दिया जाता है।'