वाराणसी। नगर निगम की ओर से इस वर्ष 13 रैन बसेरे बनाए गए हैं। बावजूद इसके असहाय और गरीब लोग रोड और घाटों के चबूतरों पर सोने के लिए मजबूर हैं और रैन बसेरा मे व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी रात को रुकने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। खासकर इन रैन बसेरों में ठहरने वालों में महिलाओ की संख्या ना के बराबर है। जागरूकता और प्रचार-प्रसार के अभाव में महत्वपूर्ण जनउपयोगी सुविधा से बेसहारा और निर्धन लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।जनपद में ठण्ड अपना प्रभाव दिखाने लगा है। यही वजह है कि लोग भी अब सर्दी से बचने अपनी व्यवस्था करने लगे हैं। लेकिन ऐसे भी कई गरीब और असहाय लोग हैं जो खुले आसमां के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। कुछ गरीब मजदूर मजबूरी में परिवार के पालन पोषण के लिए दूर से दो जून की रोटी कमाने के लिए शहर में रह रहे हैं, लेकिन उनके पास उतना पूंजी भी नही होता कि वो किराए का मकान ले सकें।