कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।जिले के अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र में टांडा रोड स्थित अरिया बाजार के रामलीला मैदान की जमीन पर अवैध कब्जे का विवाद गहराता जा रहा है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह सार्वजनिक जमीन पंचायत भवन के नाम से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है, लेकिन राजस्व विभाग की कथित लापरवाही के कारण दबंग भूमाफियाओं ने इसे अपनी बेनामी संपत्ति बताकर निर्माण शुरू कर दिया। वहीं, विपक्षी पक्ष इसे अपनी खतौनी और बैनामे की जमीन मानता है। क्या यह विभागीय चूक का नतीजा है या दस्तावेजों में हेरफेर? जांच की मांग तेज हो गई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, अकबरपुर के अरिया बाजार के रामलीला मैदान की जमीन दशकों से सार्वजनिक उपयोग में है, जहां हर साल रामलीला और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। "राजस्व विभाग ने कभी ठीक से साइट विजिट नहीं की। अगर रिकॉर्ड अपडेट होते, तो भूमाफियाओं को मौका न मिलता," एक निवासी श्याम लाल ने कहा। उन्होंने जोर देकर बताया कि विभाग की लापरवाही से सार्वजनिक संपत्तियां खतरे में पड़ रही हैं, जैसा कि जिले में अन्य अतिक्रमण मामलों में देखा गया है। दूसरी ओर, विपक्षी पक्ष के प्रतिनिधियों का दावा है कि जमीन उनकी निजी संपत्ति है, जिसके दस्तावेज खतौनी और बैनामे में मौजूद हैं। "यह सरकारी जमीन है। कुछ लोग कीमती जमीन होने के कारणों से विवाद पैदा कर रहे हैं," एक प्रभावशाली व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा। सूत्रों के अनुसार, उप जिलाधिकारी ने राजस्व विभाग से पुराने रिकॉर्ड तथा दोनों पक्षों से रिकॉर्ड मांग कर नाप करने को कहा है, लेकिन तिथि नियत होने के पश्चात भी पुलिस प्रशासन और ग्रामीण इकट्ठा हुए परंतु राजस्व विभाग के जिम्मेदार नहीं पहुंचे, लोगों का कहना है कि राजस्व विभाग की सुस्ती से मामला लंबा खिंच रहा है। क्या विभाग ने दस्तावेजों की जांच में देरी की, जिससे भूमाफियाओं को फायदा हुआ? "राजस्व विभाग को पहले ही शिकायतें मिली थीं, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अम्बेडकर नगर में लैंड स्कैंडल और अतिक्रमण के बढ़ते मामले राजस्व सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करते हैं, जहां रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन की कमी से ऐसे विवाद पैदा होते हैं। दोनों पक्षों के दावों को सत्यापित करने के लिए विशेष टीम गठित की गई है। यदि लापरवाही साबित हुई, तो दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई संभव है। स्थानीय लोग अब शांतिपूर्ण प्रदर्शन की तैयारी में हैं, यह विवाद न केवल रामलीला मैदान की रक्षा का मुद्दा है, बल्कि पूरे जिले में सार्वजनिक जमीनों की सुरक्षा का सवाल भी उठा रहा है। क्या राजस्व विभाग सुधार करेगा, या ऐसे मामले बढ़ते जाएंगे? जनता की नजर प्रशासन पर टिकी है।