देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। ओबरा के बिल्ली-मारकुंडी स्थित मे. कृष्णा माइंस की खदान में ब्लास्टिंग के लिए कंप्रेशर मशीनों से कराए जा रहे होल के दौरान हुए हादसे में पत्थर के मलये के नीचे दबकर सात श्रमिकों की दफन हुई जिंदगी के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लोगों का कहना रहा कि पूर्व में खदान क्षेत्र में हुए हादसों पर पर्दा डालने के बजाए यदि अधिकारी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए होते तो शायद मे. कृष्णा माइंस की खदान में इतनी बड़ी घटना न हुई होती।
सदर कोतवाली अंतर्गत सुकृत क्षेत्र में मे. वशिष्ठ इंटरप्राइजेज के नाम से संचालित पत्थर खदान में बीते 13 सितम्बर को एक हादसा हुआ था। ब्लास्टिंग के लिए बारूद भरने के दौरान हुए हादसे में दो लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद घायल अनूप केशरी उम्र 40 वर्ष पुत्र मोहन केशरी व डब्ल्यू कुमार उम्र करीब 38 वर्ष पुत्र स्व. शोभरन को उपचार के लिए मधुपुर सीएचसी से सीधे वाराणसी ट्रामा सेंटर के लिए रेफर करा दिया गया था। वाराणसी में उपचार के दौरान अनूप केशरी की दो दिन बाद मौत हो गई थी। बावजूद इसके इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। चर्चा रही कि इस खदान से जूड़े एक चर्चिच खनन व्यवसाई (जिसके खिलाफ परमिट के अवैध काला बजारी में मिर्जापुर के अहरौरा थाना में मुकदमा दर्ज है) के ऊंची पहुंच के आगे अधिकारियों की
कार्रवाई शून्य पड़ गई। इसी तरह 13 सितम्बर को ही ओबरा थाना के बिल्ली-मारकुंडी क्षेत्र के एक पत्थर खदान में खनन कार्य के दौरान ऊंचाई से पत्थर गिरने की वजह से एक मजदूर की मौत हो गई थी। हालांकि उस दौरान इस घटना को पुलिस ने सड़क हादसा करार दिया था। जबकि घटना के बायत सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में श्यामलाल नामक युवक ने मजदूर की मौत खदान में ऊंचाई से पत्थर गिरने की वजह से होना बताया था। युवक ने अपने बयान में स्थानीय पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाया था। उसका कहना था कि खदान के पट्टाधारकों के प्रभाव में आकर स्थानीय पुलिस मृतक के पिता से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर घटना को सडक हादसा दिखा रही है। उधर इन दोनों घटनाओं को लेकर खनन अधिकारी से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन वे मौजूद नहीं मिले। लिहाजा उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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