देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी स्थित मे कृष्णा माइंस की खदान में गत शनिवार को हुए हादसे के दौरान पत्थर के मलवे के नीचे दबे सात श्रमिकों के शवों को बरामद कर लिया गया है। समाचार लिखे जाने तक इस खदान में अभी भी आधा दर्जन से अधिक श्रमिकों के दबे होने की चर्चा रही। मंगलवार की दोपहर बाद तक एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें खदान में उतरकर लगातार घटना के चौथे दिन भी दबे श्रमिकों की खोजबीन में जूटी रहीं।
मानकों को ताक पर रखकर कराए गए अवैध खनन की वजह से ओबरा के बिल्ली-मारकुंडी स्थित मे. कृष्णा माइस की खदान काफी गहरी हो चुकी है। इस खदान में ब्लास्टिंग के लिए गत शनिवार को नी कंप्रेशर मशीनों के जरिए करीब 18 श्रमिक ड्रिलिंग का कार्य कर रहे थे। उसी दौरान अचानक खदान का उपरी छोर ढह गया और पत्थर के मलवे के नीचे तमाम श्रमिक दब गए थे। हादसे के दौरान कुछ श्रमिक माग कर अपनी जान बचाई थी, करीब 15 अमिकों के दबे होने की चर्चा रही। घटना की सूचना पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने वस्तु स्थिति का जायजा लेने के बाद मलवे के नीचे दबे श्रमिकों के शवों को बाहर निकालने का कार्य शुरू कराया था। हालांकि उस दौरान खदान में भारी पत्थर गिरने की वजह से राहत कार्य में जूटे कर्मियों को तत्काल में सफलता नहीं मिल पाई थी। बाद डीएम ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर बुलायी। दोनों टीमों के कर्मियों ने दिन-रात एक कर युद्धस्तर पर बचाव/राहत कार्य जारी रखा। घटना के तीसरे दिन सोमवार की देर शाम तक दोनों टीमों के कर्मियों ने खदान में पत्थर के मलवे के नीचे दबे सात श्रमिकों के शवों को बरामद किया। हालाकि मंगलवार को भी घटना के चौथे दिन खदान के मलवे में आधा दर्जन से अधिक श्रमिकों के दबे होने की चर्चा रही। एनडीआरएफ और
एसडीआरएफ की टीमें दोपहर बाद तक खदान में दबे श्रमिकों की खोजबीन में जूटी रहीं।
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