देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। ओबरा थाना अंतर्गत बिल्ली-मारकुंडी के में कृष्णा माइंस वर्क्स की खदान में ड्रिलिंग के दौरान हुए हादसे में पत्थर के मलये के नीचे दबकर सात श्रमिकों की मौत हो गई थी। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने एसआईटी की गठन किया है। एसआईटी की टीम ने जांच के बाद शुक्रवार को खदान से जुड़े चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों की पहचान में कृष्णा माइंस वर्क्स के माइन्स मैनेजर अनिल कुमार झा पुत्र गोरीकांत झा निवासी इब्राहिमपुर थाना बहेरा जिला दरभंगा बिहार व वर्तमान पता निवारणपुर थाना दोरन्दा जिला रांची, अजय कुमार पुत्र स्व. रामअचल निवासी बिल्ली पोखरा के पास थाना ओबरा, माइन्स मेठ चन्द्रशेखर पुत्र राजेश्वर सिंह निवासी अग्रवाल नगर कॉलोनी वार्ड संख्या 18 थाना ओबरा व मूल निवासी ग्राम कोच्या थाना विशुनपुरा जिला गढ़वा और माइन्स स्टाफ गौरव सिंह पुत्र प्रेमनाथ सिंह निवासी अग्रेसक्टर 08, किड्स केयर के पास थाना ओबरा के रूप में की गई है। जानकारी के अनुसार पूछताछ के दौरान एसआईटी की टीम के समक्ष माइन्स मैनेजर और माइन्स मेठ ने स्वीकार किया है कि खदान में मानक के विपरीत ड्रिलिंग का कार्य कराया जा रहा था। विस्फोटक का भी उपयोग मानक के अनुरूक नहीं था। इन अनियमितताओं की सूचना खान सुरक्षा निदेशक को नहीं दी गई थी। ड्रिलिंग के समय मजदूरों को सुरक्षा निर्देश नहीं दिए गए थे, और न ही आवश्यक सावधानी बरती गई थी। मजदूरों के नीचे खदान में कार्य करने से मना करने के बावजूद खदान मालिक व ठेकेदारों के दबाव में उन्हें काम करने के लिए कहा गया था। माइन्स मैनेजर एवं मेठ ने इस गंभीर जोखिम की जानकारी न तो अपने उच्चाधिकारियों को दी और न ही कार्य को रोकने का प्रयास किया था। एसआईटी जांच में यह भी पाया गया कि मानक से अधिक ड्रिलिंग किए जाने के कारण खदान की संरचना कमजोर हो गई थी, जिसके परिणामस्वरूप पत्थर का विशाल हिस्सा अचानक ढ़ह
गया और उसके नीचे दबकर सात मजदूरों की मृत्यु हो गई। माइन्स मैनेजर एवं माइन्स मेठ की भूमिका प्रथम दृष्टया घोर लापरवाही, कर्तव्यों की अनदेखी तथा सुरक्षा मानकों के उल्लंघन में पाई गई है। एसआईटी की टीम ने उपरोक्त साक्ष्यों के आधार पर सभी चारों को गिरफ्तार कर कानून के हवाले कर दिया।
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