देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। भाजपा जिला कार्यालय पर मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी जनजाति मोर्चा मोर्चा के बैनर तले वीरांगना महारानी दुर्गावती का बलिदान दिवस मनाया गया। बतौर मुख्य अतिथि मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डा संजय गोंड व विशिष्ठ अतिथि राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड़ ने महारानी के चित्र पर माल्यार्पण करके श्रद्धासुमन अर्पित किया।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि रानी दुर्गावती देश के लिए एक मिशाल के रुप मे हमेशा याद की जाएंगी। उनकी वीरता और पराक्रम को आदर्श के रुप में आज भी याद किया जाता है। गोंड समाज निश्चित रुप से समाज के विकास में अपनी अहम भूमिका के साथ स्थापित हुआ है। गोंड समाज पिछली सरकारों में उपेक्षा का शिकार रहा, लेकिन भाजपा की सरकार ने समाज के लोगों को उनका हक और अधिकार दिलाने का काम किया है। कहा कि दमोह जबलपुर स्टेट हाईवे पर सिग्रामपुर गांव में रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल से छह किलोमीटर की दूरी पर रानी का सिंगोरगढ़ का किला है। यह जगह रानी दुर्गावती की राजधानी थी। किले की उम्र सैकड़ों वर्ष होने के बाद भी उसकी दीवारें आज भी मजबूती से खड़ी हैं। रानी महल, हाथी दरवाजे, स्नान के लिए किले के अंदर बने जलाशय और किले की पहाड़ियों में बने गुप्त रास्तों का रहस्य आज भी पहेली लगता है। जिले के मुख्य हाथी दरवाजे से कुछ ही दूरी पर सिंगोरगढ़ जलाशय है, यहां आज भी 12 महीने पानी रहता है। रानी दुर्गावती का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था। उनकी वीरता के किस्से सुनकर गोंडवाना साम्राज्य के तत्कालीन राजा संग्राम सिंह मरावी ने अपने बेटे दलपत शाह मरावी से उनकी शादी करवाई थी। विवाह के चार वर्ष बाद ही दलपत शाह का निधन हो गया था, उस समय रानी दुर्गावती का बेटा नारायण केवल तीन साल का था। रानी ने स्वयं ही गोंडवाना साम्राज्य संभाल लिया। राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड़ ने कहा कि मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतना चाहता था। अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसिफ खान के नेतृत्व में गोंडवाना साम्राज्य पर हमला किया था। एक बार तो आसिफ खान पराजित हुआ पर अगली बार उसने दोगुनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला। दुर्गावती के पास उस समय कम सैनिक थे, उन्होंने जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा संभाला और खुद पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया। जनजाति के क्षेत्रीय अध्यक्ष विनोद खरवार ने कहा कि रानी दुर्गावती ने युद्ध में मुगलों को भारी नुकसान पहुंचाया। रानी ने बेटे नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेजकर पराक्रम दिखाया। हालांकि संभावित हार को देखते हुए उन्होंने खुद अपना बलिदान दे दिया। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल, अमरेश चेरो, सदर विधायक भूपेश चौबे, नागेश्वर गोंड, अजीत रावत, शीतला आचार्य, रामअरुण खरवार, प्रेमनाथ गोंड, विजय खरवार, चन्द्रावती, ज्योति खरवार, ओमप्रकाश दूबे, उदयनाथ मौर्या, अनूप तिवारी, कृष्णमुरारी गुप्ता, रामसुन्दर निषाद, संतोष शुक्ला, गुडिया त्रिपाठी, रुबी गुप्ता, किरन तिवारी, परशुराम केशरी, नार सिंह पटेल, महेश्वर चन्द्रवंशी, प्रवीण सिंह, आशीष केशरी, रितु अग्रहरी, योगेन्द्र बिन्द, बलराम सोनी आदि मौजूद रहे।