धर्मेंद्र के करियर का सबसे यादगार किरदार वीरू है जो शोले में उन्होंने निभाया था। इस किरदार में पानी की टंकी पर चढ़ना सिनेमा के सबसे यादगार दृश्यों में गिना जाता है मगर एक और किरदार है जो धर्मेंद्र निभाने से चूक गये। अगर ऐसा होता तो ये उनके फिल्मी करियर का ऐतिहासिक रोल बन सकता था।धर्मेंद्र ने अपने साठ साल से ज्यादा लम्बे करियर में सैकड़ों फिल्मों में काम किया है और अलग-अलग तरह के किरदार निभाये हैं। कभी पुलिस इंस्पेक्टर बने तो कभी लोफर। आशिक बनकर पानी की टंकी पर भी चढ़े। महबूबा के गम में नशेड़ी भी बने।मगर, एक किरदार ऐसा है, जिसे निभा ना पाने का मलाल धर्मेंद्र आज भी करते हैं। ये किरदार है देवदास। शायद किस्मत को ही ये मंजूर ना था कि धर्मेंद्र पर्दे पर देवदास बनकर उतरें। इसीलिए, शूटिंग शुरू होने के बाद भी फिल्म पूरी नहीं हो सकी। बसंती की मोहब्बत के नशे में चूर पानी की टंकी पर चढ़े वीरू को इश्क में बिखरते देवदास के रूप में देखना उनके फैंस के लिए भी दिलचस्प अनुभव होता।देवदास फिल्ममेकर्स का पसंदीदा विषय रहा है और सिनेमा की शुरुआत से ही शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के इस नॉवल पर बंगाली, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में फिल्में बनती रही हैं, मगर सबसे ज्यादा चर्चा जिस फिल्म की रही वो दिलीप कुमार की देवदास है।एक देवदास बनाने की कोशिश दिग्गज लेखक और निर्देशक गुलजार ने भी की थी। अस्सी के दौर में गुलजार ने देवदास शुरू की थी। फिल्म में हेमा मालिनी और शर्मिला टैगोर चंद्रमुखी और पारो के किरदारों में थीं।