विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) से निर्यात में विविधीकरण लाने और खेती जैसे क्षेत्र में निवेश लाने में मदद मिलेगी। इस समझौते के लिए वार्ता संपन्न होने का एलान 22 दिसंबर को किया गया था।
समझौते पर अगले साल हस्ताक्षर होने और इसके लागू होने की संभावना है। भारत और न्यूजीलैंड ने सोमवार को कहा कि उन्होंने एक मुक्त व्यापार समझौत पर बातचीत पूरी कर ली है, जिससे भारत को द्वीप राष्ट्र के बाजारों में बिना किसी शुल्क के प्रवेश मिलेगा। साथ ही अगले 15 वर्ष में 20 अरब डालर का निवेश आएगा और अगले पांच वर्ष में वस्तुओं तथा सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके पांच अरब डालर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
100 प्रतिशत निर्यात पर शून्य शुल्क की सुविधा
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन्स (फियो) के प्रेसिडेंट एससी रल्हन ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) लागू होने पर भारत के 100 प्रतिशत निर्यात पर शून्य शुल्क की सुविधा प्रदान करेगा। इसमें सभी प्रकार के उत्पादों पर शुल्क समाप्त कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, 'इससे न्यूजीलैंड के बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और रोजगार सृजन करने वाले क्षेत्रों को खासा बढ़ावा मिलेगा।' अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ और हाई-टेक गियर्स के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा कि न्यूजीलैंड द्वारा विशेष रूप से दुग्ध, कृषि और बुनियादी ढांचे में 20 अरब डालर के निवेश की प्रतिबद्धता से भारत के कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा, 'कीवी, सेब और दूध जैसे उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों में न्यूजीलैंड की विशेषज्ञता और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत सहयोग करने की उनकी प्रतिबद्धता भारतीय कृषि के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाएगी। न्यूजीलैंड भारत के लिए सेवाओं के निर्यात का एक बड़ा संभावित बाजार भी है। यह समझौता भारत के पहले से ही फलते-फूलते सेवा क्षेत्र के निर्यात को और बढ़ावा देगा।
न्यूजीलैंड वर्तमान में लागू 'एमएफएन' शुल्क पर भी भारत को दूध तथा उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकता है जबकि भारत न्यूजीलैंड को दवा, वस्त्र तथा आइटी सेवाओं का निर्यात बढ़ा सकता है। न्यूजीलैंड भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए शिक्षा, पर्यटन तथा विमानन प्रशिक्षण सेवाओं को बढ़ाकर भी विविधता ला सकता है।