देवल संवाददाता, मऊ। जिले के ग्राम धवरियासाथ निवासी ओमप्रकाश सिंह के पुत्र पवन सिंह ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप कार्य करना प्रारंभ किया और समाज की परिस्थितियों से प्रभावित हो कर लेखन से जुड़ गए,जिसकी परिणति उनके प्रथम कविता संग्रह निर्विवाद और अन्य कविताएं के रूप में हमारे सामने है।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और अध्यक्ष के रूप में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय,लखनऊ के यशस्वी कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने शिरकत की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. देवेन्द्र (कथाकार) और प्रो. बलवंत सिंह (कवि एवं शायर) ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को समृद्ध किया।मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जनार्दन(इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ),डॉ. मनोज मौर्य(त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय ),डॉ. विजय प्रसाद (उच्च शिक्षा विभाग,पश्चिम बंगाल), डॉ. चंद्रदेव सिंह (किसान पी.जी. कॉलेज, बहराइच), डॉ. सुशील कुमार सिंह (उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान,सारनाथ, वाराणसी),डॉ. संदीप सिंह (उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश),डॉ.ओमप्रकाश (ईश्वर शरन विश्वविद्यालय,प्रयागराज) और अरविंद मिश्रा वरिष्ठ शिक्षक ने अपने विचार रखे।अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में आदरणीय कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा ने पवन जी की कविताओं में निहित मानवीय संवेदना, प्रकृति के प्रति चिंता को महत्वपूर्ण माना।पवन कुमार सिंह के कविता संग्रह में निहित मानवीय मूल्यों,प्रकृति प्रेम को रेखांकित करते हुए इन वक्ताओं ने इस संग्रह को कविता की दुनिया में एक जरुरी हस्तक्षेप माना।पवन सिंह ने अपने समय,समाज एवं आगामी आहटों के प्रति गम्भीर दृष्टि रखते हुए विभिन्न प्रतीकों एवं उपमानों के माध्यम से जो शब्द चित्र खींचा है वास्तव में वह पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देता है। निश्चित रूप से यह काव्य संग्रह समय की शिला पर एक अमिट छाप छोड़ेगा और कविता जगत में संग्रहणीय होगा। इस अवसर पर उपजिलाधिकारी रमेश जी ने कविताओं में विम्ब और लोकतत्त्व पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखें।कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मण और डॉ राकेश सिंह जी रहें।इस अवसर पर मऊ जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव,युवा नेता गौरव कुमार राय भी उपस्थित रहे और उन्होंने युवा कवि पवन सिंह को उनकी प्रथम पुस्तक के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।कार्यक्रम का संचालन डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह द्वारा किया गया तथा धन्यवाद सहायक आचार्य श्री अमित कुमार राय ने दिया।