देवल संवाददाता, आज़मगढ़। मण्डल के जनपदों में निर्माणाधीन परियोजनाओं, राजस्व वसूली और नगरीय निकायों की समीक्षा के दौरान खराब प्रगति और लापरवाही पर मण्डलायुक्त विवेक ने कड़ा रुख अपनाया। समीक्षा में एक अधिकारी का वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण तलब किया गया, जबकि दो अन्य अधिकारियों को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही सभी अधिकारियों को समय से कार्यालय में उपस्थित रहने और आमजन की समस्याओं का समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए।
आयुक्त सभागार में आयोजित बैठक में मण्डलायुक्त ने मुख्यमंत्री डैशबोर्ड (CMIS) पर प्रदर्शित प्रगति के आधार पर एक करोड़ रुपये से अधिक लागत की निर्माणाधीन परियोजनाओं की समीक्षा की। समीक्षा में पाया गया कि उप्र जल निगम द्वारा गत माह 77 कार्य पूर्ण करने के लक्ष्य के सापेक्ष केवल 25 कार्य ही पूरे किए गए। इस पर नाराजगी जताते हुए मण्डलायुक्त ने जल निगम के अधीक्षण अभियन्ता को निर्देशित किया कि इस माह के लिए निर्धारित 84 कार्यों में पूर्व के अवशेष कार्यों को शामिल कर शत-प्रतिशत प्रगति सुनिश्चित की जाए।
मण्डलायुक्त ने यूपीपीसीएल के परियोजना प्रबन्धक को निर्माण कार्यों का निरंतर स्थलीय निरीक्षण कराते हुए मानक एवं गुणवत्ता के साथ कार्य समय से पूर्ण कराने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन परियोजनाओं के लिए धनराशि शीघ्र मिलने की संभावना है, उन्हें रोका न जाए, बल्कि निर्बाध रूप से कार्य पूर्ण कराया जाए। साथ ही जिन कार्यों को मई-जून तक पूरा किया जाना है, उन्हें बरसात से पहले पूर्ण कराने पर जोर दिया गया, ताकि मण्डल और जनपद की रैंकिंग प्रभावित न हो।
लोक निर्माण विभाग की समीक्षा में पाया गया कि जनपद बलिया में सीसी सड़क व नाली निर्माण में भुगतान की तुलना में भौतिक प्रगति अधिक है। इस विसंगति पर मण्डलायुक्त ने मुख्य अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग को दोनों कार्यों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसी प्रकार सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा बलिया-बैरिया तटबंध पर निर्मित स्पर निर्माण कार्य में भी भुगतान और भौतिक प्रगति में अंतर पाए जाने पर अधीक्षण अभियन्ता, ड्रेनेज मण्डल बलिया को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।
राजस्व कार्यों की समीक्षा करते हुए मण्डलायुक्त ने आज़मगढ़, बलिया और मऊ के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि राजस्व न्यायालयों में लंबित वादों का न्यायालयवार निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने तीन वर्ष और पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित मामलों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। धारा-116 (कुर्रा बंटवारा) और धारा-24 (पैमाइश) के मामलों में मौके पर, पक्षों की उपस्थिति में निस्तारण कराने पर विशेष जोर दिया गया।
अमृत-2 योजना की समीक्षा में मण्डलायुक्त ने पाया कि बलिया और मऊ में वित्तीय लक्ष्य प्राप्ति शत-प्रतिशत, जबकि आज़मगढ़ में केवल 83.99 प्रतिशत है। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए अधिशासी अभियन्ता, उप्र जल निगम (नगरीय) आज़मगढ़ का वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण तलब किया गया। वहीं मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के लंबित आवेदनों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए गए। आबकारी विभाग में बलिया की 110.05 प्रतिशत राजस्व प्राप्ति पर संतोष जताते हुए अन्य जनपदों को भी लक्ष्य पूर्ण करने का निर्देश दिया गया।
नगरीय निकायों की समीक्षा में मण्डलायुक्त ने सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों की बदहाल स्थिति, प्याऊ में पेयजल व्यवस्था की कमी और साफ-सफाई में लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने सभी ईओ को नियमित भ्रमण, शौचालयों की साफ-सफाई, प्याऊ पर शुद्ध पेयजल, मलिन बस्तियों में मूलभूत सुविधाएं, ठंड को देखते हुए अलाव, रैन बसेरे और कम्बल वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि औचक निरीक्षण में अनियमितता मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में जिलाधिकारी आज़मगढ़ रविन्द्र कुमार, जिलाधिकारी बलिया मंगला प्रसाद सिंह, जिलाधिकारी मऊ प्रवीण मिश्र सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।