देवल, ब्यूरो चीफ,डाला, सोनभद्र। ओबरा थाना अंतर्गत बिल्ली-मारकुंडी के 37 खदानों से खनन कार्य पर खान सुरक्षा महानिदेशालय वाराणसी क्षेत्र वाराणसी ने पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। आरोप है कि इन खदानों से संचालकों द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर पत्थर खनन का कार्य कराया जा रहा था। महानिदेशालय के इस कार्रवाई से पत्थर खनन कारोबार से जुड़े पट्टाधारकों सहित कशर व्यवसायियों में हड़कंप की स्थिति है।
भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि खान सुरक्षा निदेशक वाराणसी क्षेत्र वाराणसी ने जिलाधिकारी को पत्रक के माध्यम से अवगत कराया है कि जनपद सोनभद्र के तहसील ओबरा अंतर्गत बिल्ली मारकुंडी के स्वीकृत पत्थर खदानों का निदेशालय के अधिकारियों ने बीते दिनों निरीक्षण किया था। उस दौरान धात्विक खान विनियम 1961 का गंभीर उल्लंघनों के लिए खान अधिनियम 1952 की धारा 22 (3) एवं 22। (2) के तहत आदेश अधिसंचित किया गया है और कार्यवाही हेतु इसकी सूचना आपके कार्यालय को भी प्रदान की गयी है। उक्त उल्लंघनों के अनुपालन करने के लिए वर्तमान में भी खदान मालिकों को सुधार की योजना एवं अद्ययति खान का नक्शा 15 दिनों के अंदर जमा करने के लिए पत्र भेजा गया था, जिसकी प्रतिलिप आपके कार्यालय में भेजी गयी थी. परंतु अब तक किसी भी खदान मालिक द्वारा (सुधार की योजना) एवं (update mine plan) जमा नहीं किया है। ऐसी दशा में ऐसा प्रतीत होता है कि खादान मालिक उल्लंघनों के निराकरण के प्रति गंभीर नहीं हैं। खनन पट्टाधारकों द्वारा उक्त उलंघन का पूर्ण अनुपान के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। खदान में सुधार के लिए योजना, उसके अनुमोदन एवं अनुपालन के लिए जब तक व्यवस्था नहीं कर ली जाती है तथा इस निदेशालय द्वारा सुधार की योजना के अनुरूप कार्य संचालित करने के लिए आदेश जारी नहीं किया जाता है, तब तक खदान से खनन कार्य पूर्ण रूप से बंद रहेगा। साथ ही खनिज का परिवहन भी बंद रखा जाए। यह खदान में काम कर रहे श्रमिकों की सुरक्षा के दृष्टिगति से अति आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि बिल्ली-मारकुंडी के श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स की खदान में बीते माह प्लास्टिंग के लिए कंप्रेशर मशीनों के जरिए होल करने के दौरान हुए हादसे में सात श्रमिकों की पत्थर के मलवे के नीचे दबकर हुई मौत के बाद हरकत में आए अधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से मानकों को ताक पर रखकर संचालित किए जा रहे अन्य पत्थर खदानों से खनन कार्य पर पूर्णरूप प्रतिबंध लगा दिया था। बावजूद इसके इस हादसे के करीब 15 दिन बाद मामला जैसे ही ठंडा हुआ, संचालकों ने खदानों से खनन कार्य शुरू करा दिया था।
.jpeg)