देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। जिला मुख्यालय के प्रमुख शहर रावर्ट्सगंज नगर समेत आस-पास के इलाकों में मानकों को ताक पर रखकर चाय-पान की दुकानों की तर्ज पर संचालित किए जा रहे प्राइवेट अस्पतालों पर न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग बल्कि स्थानीय पुलिस की भी भरपूर कृपा बरस रही है। आलम यह है कि यदि किसी भी निजी अस्पताल में इलाजरत किसी भी मरीज की अचानक तबीयत बिगड़ने पर मौत हो जाए, और मृतक के परिजन अस्पताल के चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों पर मरीज के उपचार में लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर भले ही घंटों हंगामा करते हों, बावजूद इसके स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच कर बगैर शव का पोस्टमार्टम कराए ही अस्पताल संचालक को क्लीन चिट तक दे दे रही है। जबकि वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि बगैर शव का पोस्टमार्टम कराए मौत के सहीं कारणों का पता नहीं लगाया जा सकता है। इसी वजह से यदि किसी अस्पताल में मरीज की मौत होती है तो तत्काल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है। बाद पीएम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाती है।
उल्लेखनीय है कि नगर के फ्लाईओवर के नीचे सर्विस लेन के किनारे दि अपोलो चिल्ड्रेन हास्पिटल में बीते 3 नवंबर को जुगैल थाना क्षेत्र के नेवारी गांव निवासी एक मासूम बच्चे की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में घंटों हंगामा किया था। उस दौरान मृतक के परिजनों ने इलाज के दौरान बच्चे को गलत इंजेक्शन लगाने से उसकी मौत होने व घटना के बाद हास्पिटल परिसर से उन्हें जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर भगाने का आरोप हास्पिटल के चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। मृतक के पिता सुनील कुमार ने करीब 3 बजकर 37 मीनट पर सदर कोतवाली पहुंच कर बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सदर कोतवाल की गैरमौजूदगी में हेड कांस्टेबल को तहरीर भी सौंपा था। बावजूद इसके इस प्रकरण में स्थानीय पुलिस न तो आरोपी ठहराए जा रहे चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया और न ही सच्चाई से पर्दा उठाने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल ही भेजा। अस्पताल में घंटों चले हंगामा के बाद शाम करीब साढ़े पांच बजे पुलिस की मौजूदगी में पीड़ित परिजन बच्चे का शव लेकर वापस घर लौट गए थे। यह मामला दो दिनों तक मीडिया के सुर्खियों में छाया रहा। पुलिस की मौजूदगी में घटना के करीब छह घंटे बाद आरोपी चिकित्सक व पीड़ित परिजनों के बीच हुए सुलह-समझौता को लेकर तमाम लोग स्थानीय पुलिस पर तरह-तरह के आरोप लगाते रहे। इसी बीच सोशल मीडिया एक्स पर सोनभद्र पुलिस द्वारा प्रकरण में दी गई सफाई एक बार फिर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सोनभद्र पुलिस ने सदर कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल शीर्षक से संबंधित प्रकाशित खबर को एक्स पर टैग कर जानकारी साझा की है कि मृतक नवजात शिशु के परिजनों एवं अस्पताल प्रबंधन के बीच हुए विवाद में स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों के हस्तक्षेप से दोनों पक्षों के मध्य आपसी समझौता हो गया है। प्रथम दृष्टया जांच में अस्पताल प्रबंधन की कोई लापरवाही नहीं पाई गई है। उधर देखा जाए तो इस प्रकरण में न तो सदर कोतवाली में कोई मामला पंजीकृत है और न ही मृतक बच्चे के शव का पोस्टमार्टम ही कराया गया है, बावजूद इसके अस्पताल संचालक को पुलिस ने क्लीन चिट दे दिया। यह जांच का विषय है।
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