भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक भावना और विविधता का जीवंत प्रमाण- प्रो. संजीव कुमार
देवल संवाददाता, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, आज़मगढ़ में संविधान दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग की ओर से प्रश्नावली प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता और पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। विद्यार्थियों ने भारतीय संविधान के मूल तत्वों, नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों पर गंभीर व प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए।
प्रश्नावली प्रतियोगिता में संविधान की धाराओं, मूल कर्तव्यों और ऐतिहासिक संदर्भों से जुड़े प्रश्न रखे गए, जिन्हें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक हल किया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने सामाजिक न्याय, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं तथा नागरिक जिम्मेदारियों पर तर्कपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किए। पोस्टर प्रतियोगिता में छात्रों ने संविधान से प्रेरित मौलिक विचारों को चित्रात्मक रूप में दर्शाकर सभी को प्रभावित किया।
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार द्वारा 'संविधान गैलरी' का भव्य उद्घाटन किया गया। यह गैलरी भारतीय संविधान की निर्माण यात्रा, उसके मुख्य स्तंभों, संविधान निर्माताओं तथा प्रस्तावना से लेकर मौलिक अधिकारों तक की सामग्री से समृद्ध है।
कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक भावना और विविधता का जीवंत प्रमाण है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान के सिद्धांतों को समझें, अपनाएँ और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग की त्रिषिका श्रीवास्तव ने किया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम दीपक पाल, द्वितीय सुषमा पांडेय, तृतीय आदित्य मिश्रा, और पोस्टर प्रतियोगिता में अंजलि गौड़ प्रथम सविता प्रजापति द्वितीय तथा वाद-प्रतिवाद प्रतियोगिता में प्रथम विजेता श्रेया पांडेय, ऋषभ त्रिपाठी विपक्ष में प्रथम विजेता रहे। अंत में प्रश्नावली, वाद-विवाद और पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं को कुलपति ने प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए। विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग की डॉ. दीक्षा उपाध्याय, शुभम राय और सूर्य प्रकाश अग्रहरि का सहयोग बहुत ही सराहनीय रहा।
