देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। मूलभूत सुविधाओं से वंचित चोपन विकास खंड के जुगैल ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम प्रतिनिधि को सौंपा। अपना दल एस शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व जिलाध्यक्ष राहुल पांडेय ने बताया कि जनपद सोनभद्र के चोपन विकास खंड के जुगैल ग्राम पंचायत क्षेत्रफल के लिहाज से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायतों में गिनी जाती है। करीब 50 हजार की आबादी वाला यह क्षेत्र मुख्यधारा से आज भी पूरी तरह कटा हुआ है। यहां का हाल ऐसा है कि आपात स्थिति में एंबुलेंस बुलाने के लिए लोग पहाड़ों पर चढ़कर नेटवर्क खोजते हैं। अगर किसी गर्भवती महिला की तबीयत बिगड़ जाए या किसी बच्चे को गंभीर बीमारी हो जाए तो मोबाइल सिग्नल की अनुपस्थिति मौत और जिंदगी के बीच की दूरी बढ़ा देती है। स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद चिंताजनक है। जुगैल में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है, लेकिन डॉक्टर और एम्बुलेंस सेवा नेटवर्क की कमी से पूरी तरह निष्क्रिय हो चुके हैं। कई बार एम्बुलेंस ड्राइवर तक से संपर्क नहीं हो पाता, जिसके चलते गंभीर मरीजों को 70 से 100 किलोमीटर दूर रॉबर्ट्सगंज या वाराणसी तक खुद के साधनों से ले जाना पड़ता है। ग्रामीण बताते हैं कि कई गर्भवती महिलाएं समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ चुकी है। मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से टेलीमेडिसिन, आयुष्मान कार्ड अपडेट, टीकाकरण ऐप और ई-स्वास्थ्य सेवाएँ सिर्फ नाम की रह गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में स्थिति और भी भयावह है। जुगैल की बेटियां स्नातक स्तर तक की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव या कस्बों तक जाती हैं, क्योंकि यहां
इंटर कॉलेज या डिग्री कॉलेज तक नहीं है। डिजिटल क्लास, ऑनलाइन शिक्षा, सरकारी छात्रवृत्ति पोर्टल या यूपी बोर्ड की वेबसाइट तक सब नेटवर्क की कमी में ठप हैं। स्कूल के बच्चे ऑनलाइन टेस्ट या गृहकार्य तक नहीं कर पाते। शिक्षक और विद्यार्थी दोनों डिजिटल इंडिया की दौड़ से बाहर हैं। नेटवर्क की सबसे बड़ी मार सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ रही है। किसी घटना या अपराध की सूचना देने के लिए लोगों को 5 से 6 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर जाकर फोन मिलाना पड़ता है। रात के समय या बरसात में यह जान जोखिम में डालने जैसा काम होता है। कई बार चोरी, डागडे या जंगल में लगी आग जैसी घटनाएं होने पर भी समय पर पुलिस मौके पर नहीं पहुंच पातीं। थाना क्षेत्र जुगैल करीब 40 किलोमीटर में फैला है. ऐसे में संपर्क न होना संकट को और बढ़ा देता है। जुगैल के लोग बताते हैं कि नेटवर्क की समस्या सिर्फ कॉल या इंटरनेट की नहीं है. यह तो रोजमर्रा की हर जरूरत पर सीधा असर डालती है। बैंकिग, राशन कार्ड अपडेट, पेंशन या मनरेगा की हाजिरी सब कुछ मोबाइल और इंटरनेट पर निर्भर है। लेकिन नेटवर्क न होने से लोगों को छोटी-छोटी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा। वहीं, हर घर नल योजना के बावजूद गांवों में पानी की भारी किल्लत है, क्योंकि जल निगम के मॉनिटरिंग सेंटर तक डाटा भेजने में नेटवर्क फेल हो जाता है। ऐसे में योजनाएं कागजों में क्रियान्वित होकर रह जाती है। क्षेत्र में हिंडाल्को और एनटीपीसी जैसी बडी औद्योगिक इकाइयां चल रही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि रोजगार और सुविधाएं बाहरी लोगों को मिलती हैं, जबकि स्थानीय आदिवासी सिर्फ प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट झेल रहे हैं। नदिया दूषित है, हवा में धूल है, और जंगल खत्म हो रहे हैं। इस संबंध में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे राहुल पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे जुगैल में आज भी सड़क, बिजली, नेटवर्क, पेयजल और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। गांव की बेटियां पढ़ाई के लिए रोज कई किलोमीटर जाती हैं। अगर कोई बीमार पड़ जाए, तो एंबुलेंस तक बुलाना मुश्किल होता है। हमने डीएम को ज्ञापन दिया है ताकि मुख्यमंत्री तक यह आवाज पहुंचे। मौके पर राम जीवन, रमेश, धर्मदेव, बाबूराम, उमाशंकर, लालता सिंह, ददई हीरामणि आदि मौजूद रहे।
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