कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।अम्बेडकरनगर जिले के बसखारी ब्लॉक के ग्राम भिदूण में जो चल रहा है, उसे देखकर तो टीवी वाले भी कहेंगे—“ये कहानी हम क्यों नहीं बना पाए?” ग्रामीणों के मुताबिक, 22 साल पहले सरकारी पैसे से बनी मजबूत पक्की नाली थी। पानी ऐसे निकलता था जैसे हाईवे पर गाड़ियाँ—फास्ट और बिना रुकावट। लेकिन फिर गांव में कुछ अलौकिक बुद्धि वाले लोग सक्रिय हुए और नाली को देखते ही बोले—“अरे, ये तो जगह घेरे खड़ी है!” और देखते-देखते पक्की नाली गायब, और उसकी जगह कब्ज़ा हाज़िर! ग्रामीणों का दावा है कि पूरा खेल 2017 से चल रहा है और इसमें प्रधान पति अंगद निषाद, सहयोगी अवधेश निषाद, खुद को प्रधान प्रतिनिधि बताने वाले सागर निषाद और उनके साथियों की कथित सहभागिता बताई जा रही है। पीड़ित परिवार का कहना है कि आवाज़ उठाई तो जवाब में मिला—“धमकी + झूठा मुकदमा + मारपीट पैकेज”—ओरिज़िनल ऑफर, बिना किसी कूपन कोड के।
जब मामला गर्म हुआ और जांच का डर बढ़ा, तो गांव में नई नाली बनाने का मेगा शो शुरू हुआ। लेकिन यहाँ ट्विस्ट ये है—इस बार नाली नहीं, प्लास्टिक पाइप का जलाभिषेक किया गया।
ग्रामीणों ने पाइप देखकर ऐसा रिएक्शन दिया जैसे किसी ने स्टील की थाली मांगने पर प्लास्टिक की प्लेट पकड़ा दी हो—
“ये पाइप नहीं, कुछ दिन का मेहमान है। पहली बारिश में बह जाएगा, और अगर बच गया तो हम मिठाई बांट देंगे।”
*लोगों का सवाल भी लाजवाब*
*“पहली वाली पक्की, मजबूत और सरकारी नाली को क्यों तोड़ा?”*
*_“नई नाली में प्लास्टिक का लाइफ-सेटिंग पाइप ही क्यों?”_*
*“ये जल निकासी है या बच्चों का साइंस प्रोजेक्ट?”*
ग्रामीणों का आरोप है कि पूरी कार्रवाई में प्रभावशाली लोगों की मिलीजुली खाना-पीना है और सरकारी धन का सृजनात्मक उपयोग हो रहा है। लोगों ने जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से कड़क जांच की मांग की है, ताकि ये पता चले कि नाली गई कहाँ और शासन-प्रशासन की आँखे बंद क्यों हैं।
उधर जिलाधिकारी कार्यालय का सीयूजी नंबर भी गांव वालों के जैसा निकला—कभी व्यस्त, कभी बाहर क्षेत्र में, कभी “कृपया बाद में प्रयास करें” मोड में।
*अब पूरे गांव की निगाहें प्रशासन पर हैं—*
क्या कार्रवाई होगी?
क्या प्लास्टिक पाइप पहली बारिश झेल पाएगा?
या फिर जल्द ही गांव में “नाली पुनर्निर्माण महोत्सव – तीसरा संस्करण” देखने को मिलेगा?
आगे की कहानी बारिश तय करेगी।
