देवल संवाददाता, आजमगढ़। जनपद के स्वास्थ्य विभाग का हाल कुछ इस तरह से बेहाल हुआ है कि मण्डलीय जिला चिकित्सालय में चूहे कुतरते हैं जीवन उपयोगी ग्लूकोज की बोतलें, कचरे के ढेर में मिलती हैं दवाएं तो सरकार द्वारा सीएचसी पीएचसी पर भेजे जाने के लिए लाखों रूपये के जीवनोपयोगी दवाएं, स्ट्रेचर, अस्पताल में उपयोग होने वाले अन्य संसाधन जर्जर बिल्डिंग के मलबे में दफन हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में यह देखने को मिल रहा है कि मण्डलीय जिला चिकित्सालय प्रांगण में स्थित पुराने एएनएम हाउस में बड़ी मात्रा में सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मरीजों के उपयोगी दवाएं व संसाधन मलबे के ढेर में दफन हो गये हैं। जनता की गाढ़ी कमाई से आने वाले यह संसाधन अगर अपने सही स्थान पहुंच जाते तो जनता की जरूर काम आते। जनपद के कई ऐसे सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं जहां पर मरीजों को उपयोग में आने वाले अस्पताल से सम्बन्धित बहुत सारे संसाधनों का अभाव है लेकिन वीडियो देखकर यह लगता है कि सरकार तो संसाधन भेज रही है लेकिन जनपद पर बैठे हुए जिम्मेदार उसे मलबे के ढेर में दफन हो जाने दे रहे हैं। मामले में बड़ा सवाल यह है कि अगर एएनएम हाउस जर्जर घोषित था तो फिर किसकी देख रेख में रखे गये थे सामान, रखे गये सामानों को रखने या निकालने के समय अगर होता हादसा तो हादसे के लिए कौन होता जिम्मेदार। तस्वीरे देखकर तो यही लग रहा है कि पुराने एएनएम हाउस में शायद ही किसी के अन्दर जाने की हिम्मत करे लेकिन वाह रे जनपद के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार, जनपद के मरीजों को तो नहीं उनकी जान का रखते ख्याल, जिनके द्वारा रखे जाने के समय अगर होता हादसा तो जाती उनकी जान। तस्वीरे देखकर तो यही प्रतीत हो रहा है कि सामान शायद ही कभी अपने इस सोच से रखा गया हो कि वह अपने गन्तव्य तक पहुंचेगा। बारिश के समय ढेर हुई बिल्डिंग के मलबे के नीचे की तस्वीरे तो यही बता रही हैं कि सरकार भले ही हो बदनाम लेकिन जिम्मेदार नहीं पहुंचने देंगे सही जगह सामान।
