देवल संवाददाता, मऊ। प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मेकेनाइजेशन फार इन सीटू मैनेजमेन्ट ऑफ क्रॉप रेज्डयू (सी०आर०एम) योजना के अन्तर्गत आज कलेक्ट्रेट प्रागंण से जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र द्वारा जागरूकता प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया, यह प्रचार वाहन जनपद के हर विकास खण्ड में गांव-गांव जाकर अगले सात दिनो तक प्रचार-प्रसार करेगी।जिला कृषि अधिकारी सोमनाथ गुप्ता ने बताया कि प्रचार वाहन में पराली/फसल अवशेष प्रबंधन हेतु लोगों से अपील करने एवं शासकीय आदेशों/ निर्देशों के पालन हेतु बैनर लगाए गए है। साथ ही गांव-गांव में प्रचार प्रसार के माध्यम से लोगों को पराली न जलाने बल्कि उनके बेहतर प्रबंधन हेतु पम्पलेट,लीफलेट तथा प्रचार सामाग्री भी वितरित कि जायेगी। उन्होंने बताया कि जनपद के किसान भाइयों में जन जागरूकता हेतु तथा इस आशय से की जनपद के कृषक भाई पराली न जलाएं बल्कि पराली का बेहतर प्रबंधन करते हुए कृषि हेतु लाभदाई बनाएंगे।
पराली जलाने से हानी
फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है।खेत में मौजूद केंचुए तथा अन्य लाभकारी जीव नष्ट हो जाते है।मिट्टी के अन्दर उपस्थित लाभकारी जीवाणु फसल अवशेष्स जलाने से नष्ट हो जाते है।फसलों की पैदावार में कमी हो जाती है।जमीन की उर्वरा शक्ति का विनाश हो जाता है।फसल अवशेष मिट्टी का कार्बनिक पदार्थ है उसके जलाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है।
फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ
खेत की जल धारण क्षमता बढ़ती है।
खेत में जीवांश की मात्रा बढ़ने से लाभदायक जीव केंचुए आदि पनपते है।खेत उपजाऊ बनता है जिससे फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है।मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा मे बढ़ोत्तरी होती है जिससे उपज में भी बढ़ोत्तरी होती है।राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण की धारा 24 एवं 26 के अन्तर्गत खेत में फसल अवशेष जलाया जाना दण्डनीय अपराध है, जिसमे दण्ड निम्नवत है।दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 5,000 रू।दो एकड़ से पाच एकड़ के लिए 10,000 रू ।पाच एकड से अधिक के लिए 30,000 रू तक आर्थिक दण्ड निधर्धारित है।
