आजमगढ़। बुढ़नपुर तहसील मुख्यालय को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग इन दिनों बदहाली के चरम पर पहुंच चुका है। गहरे गड्ढों और उखड़े हुए डामर से ढकी यह सड़क, ना सिर्फ राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बन गई है, बल्कि यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की ओर भी इशारा करती है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसी मार्ग से प्रतिदिन एसडीएम, तहसीलदार, और जिले के अन्य उच्चाधिकारी आवागमन करते हैं, लेकिन अब तक किसी की नजर इस टूटे रास्ते पर नहीं पड़ी या शायद जानबूझकर अनदेखी की जा रही है।
तहसील दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर जब अधिकारी इसी मार्ग से होकर तहसील पहुंचते हैं, तब भी सड़क की दुर्दशा पर कोई चर्चा नहीं होती। सवाल यह उठता है कि जब न्याय देने वाले ही बदहाल रास्ते से गुजरते हुए आंखें मूंद लें, तो आम जनता को कौन सुनेगा?इस मुद्दे पर अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष मिथिलेश कुमार सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जब जिम्मेदार लोग खुद ही बेखबर हैं, तो जनता को न्याय की उम्मीद कहां से करें?" वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता राघवेंद्र पाण्डेय ने बताया कि, "इस मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। रोजाना लोग गिरकर घायल हो रहे हैं, लेकिन जनता के दर्द से किसी को कोई सरोकार नहीं।"गौरतलब है कि आगामी 5 जुलाई को आजमगढ़ के तेजतर्रार जिलाधिकारी का इसी रास्ते से तहसील आगमन प्रस्तावित है। अब देखना यह है कि क्या उनकी नजरें इस सड़क की बदहाली पर पड़ेंगी या बाकी अधिकारियों की तरह वे भी आंखें मूंदकर निकल जाएंगे?जनता की अपेक्षा है कि इस मार्ग की मरम्मत कराकर प्रशासन जनता की तकलीफों को कम करे, ताकि न्यायालय और तहसील जैसे संस्थानों तक पहुंचना स्वयं किसी सजा जैसा न बन जाए। समय आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी इस टूटी सड़क को सिर्फ मिट्टी का ढेर न समझें, बल्कि इसे जनता के सब्र की अंतिम सीमा मानें।