देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। विश्व संग्रहालय दिवस पर भी जिले के संग्रहालयों का ताला नहीं खुल सका। बेहतर देखरेख के अभाव में खंडहर हो चुके घोरावल के शिवद्वार व मऊ स्थित संग्रहालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी ने कहा कि सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सोनभद्र के शिवद्वार एवं सुप्रसिद्ध विजयगढ़ दुर्ग स्थित मऊ गांव में बिखरे हुए ऐतिहासिक कलाकृतियों, मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट एवं अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों, साहित्यकारों के लंबे संघर्षों एवं प्रयासों के बाद 11 वें वित्त आयोग योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय लखनऊ ने शिवद्वार में स्थलीय संग्रहालय का निर्माण कराया है। 3 सितंबर 2009 को तत्कालीन संस्कृति मंत्री ने इसका उद्घाटन भी किया गया। 15 सितंबर 2009 को विजयगढ़ दुर्ग स्थित मऊ गांव के संग्रहालय का उद्घाटन भी तत्कालीन संस्कृति मंत्री द्वारा किया गया था। उद्घाटन के पश्चात कुछ वर्षों बाद यह संग्रहालय वित्त एवं कर्मचारियों के अभाव में बंद हो गए। स्थानीय नागरिक एवं संग्रहालय के मूर्तियों के संग्रहण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अशोक गोस्वामी के अनुसार, मऊ स्थित संग्रहालय में अनेकों दुर्लभ, प्राचीन मूर्तियां, कलाकृतियां संग्रहित है। इस संग्रहालय के निर्माण का उद्देश्य यह था कि ऐतिहासिक विजयगढ़ दुर्ग पर प्रतिवर्ष लगने वाले हिंदू मेला व अन्य कार्यक्रमों में भारी संख्या में आने वाले पर्यटक संग्रहालय में अवस्थित मूर्तियों का अवलोकन कर स्थानीय इतिहास से परिचित हो सके, लेकिन सपना अधिकारियों की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया। बेहतर देखरेख के अभाव में आज इस संग्रहालय की दीवारें, खिड़कियां जगह-जगह से टूट चुकी हैं। मूर्ति तस्करों की कुदृष्टि संग्रहालय में संग्रहित कलाकृतियों पर गड़ी हुई है। वरिष्ठ अधिवक्ता राम अनुज धर द्विवेदी ने शिवद्वार स्थित संग्रहालय की दुर्दशा पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि संग्रहालय के निर्माण के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पा रही है। विश्व प्रसिद्ध शिवद्वार मंदिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि, बसंत पंचमी सावन के महीने में कावड़ यात्रा आदि धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, लाखों की संख्या में दर्शनार्थी, भक्तजन, पर्यटक, मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इसी आशा व विश्वास के साथ इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया था, कि स्थानीय पर्यटक संग्रहालय में संग्रहित कलाकृतियां देखकर स्थानीय संस्कृति, साहित्य, इतिहास का ज्ञान प्राप्त कर सके, लेकिन आज यह संग्रहालय वर्षों से बंद पड़ा है।