कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।प्रभु की कृपा से यदि हम किसी अच्छे कार्य को करने का प्रयास करते हैं तो सफलता जरुर मिलती है।दृढ़ संकल्प से हम किसी मंजिल को आसानी से हासिल कर सकते हैं। कथा सुनने से अज्ञानता का नाश होता है।
उक्त बातें अकारीपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पं तुलसीराम शास्त्री ने श्रोताओं के सम्मुख कही
उन्होंने सृष्टि विस्तार और ध्रुव चरित्र के प्रसंग का वर्णन किया ।अपनी सौतेली माता के बच्चों से आहत ध्रुव अपनी मां सुनीति से मिले ,मां सुनीति ने उन्हें प्रभु के चरणों में ध्यान लगाने को कहा ।मात्रि पांच वर्ष की अवस्था में ध्रुव तप करने के लिए राजमहल छोड़ दिया और वन को प्रस्थान कर गये ,रास्ते में नारद ने उन्हें भगवान विष्णु का यह मंत्र का जाप करने की शिक्षा दी। ।उनकी कठोर तपस्या से भगवान खुश हो गये और उन्हें दर्शन देकर उनके जीवन को धन्य बना दिया। इसलिए प्रत्येक मां ,पिता को बचपन में ही बच्चों को अच्छे संस्कार देकर उन्हें अध्यात्म की तरफ मोड़ देना चाहिए। ताकि यह राष्ट्र विश्व गुरु बन सके।इस अवसर पर यजमान उर्मिला त्रिपाठी, केदारनाथ तिवारी,दीप नरायन त्रिपाठी,जय त्रिपाठी सहित आदि श्रोता उपस्थित रहे।