कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।जब जब पाप बढ़ जाता है।धर्म की हानि होंने लगती है।साधु संतों और भक्तों का अपमान होंने लगता है,तब तब प्रभु इस बसुंधरा पर अवतार लेते हैं ,और भक्तों की रक्षा कर पाप का अंत करते हैं।
उक्त बातें ग्राम अकारीपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पं० तुलसीराम शास्त्री ने श्रोताओं के सम्मुख कही। उन्होंने कहा कि प्रभु बहुत ही भक्त वत्सल है।अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। त्रेतायुग में जब रावण का अत्याचार बढ़ गया,तो उन्होंने राम के रुप में अवतरित होकर रावण का विनाश कर अपने भक्तों और धर्म की रक्षा की,इसी तरह द्वापर युग में कंस का अत्याचार बढ़ने पर भगवान कृष्ण के रुप में अवतरित होकर कंस का मानमर्दन किया और धर्म की स्थापना की।कथा में प्रहलाद चरित्र,नरसिंहावतार, भगवान कृष्ण के जन्म के प्रसंग का वर्णन किया। भगवान कृष्ण के जन्म पर महिलाओं ने मंगलगीत गाये और प्रार्थना की गई।नंद के घर आनंद भयो ,जय कन्हैया लाल की 'आदि भजनों पर श्रोता भावविभोर हो गये। इस अवसर पर यजमान उर्मिला त्रिपाठी, केदारनाथ तिवारी , डा विजयकांत दुबे, विवेकानंद तिवारी,दीप नारायण, सुरेश चंद्र , रवि दुबे, संगीता, आस्था आदि सैकड़ों श्रोता उपस्थित रहे।