देवल संवाददाता, आजमगढ़। प्रदेश में अपराध और अराजकता पर लगाम लगाने के सरकार के दावों की पोल खोलती एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। अहरौला थाना क्षेत्र के आलमपुर गांव निवासी फौजदार पुत्र बनवारी ने आरोप लगाया है कि उनकी जमीन से गुजरने वाले सार्वजनिक रास्ते को जबरन अवरुद्ध किया जा रहा है, जबकि यह रास्ता राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। एसडीएम बूढ़नपुर पंकज दीक्षित से शिकायत की, जिन्होंने थानाध्यक्ष अहरौला और राजस्व निरीक्षक को निर्देश दिया कि मौके की जांच कर उचित कार्रवाई करें और यह सुनिश्चित करें कि विवादित भूमि पर कोई अवैध निर्माण न हो। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जब पीड़ित अहरौला थाने पहुंचा, तो वहां के थानाध्यक्ष ने एसडीएम के आदेश को नजरअंदाज कर दिया और कथित रूप से आदेश की प्रति को फेंकते हुए यह कह दिया कि वे इस पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।पीड़ित का आरोप है कि पुलिस विपक्षी पक्ष से मिली हुई है और उन्हें खुला समर्थन दे रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के स्पष्ट आदेश के बावजूद थानाध्यक्ष ने निर्माण कार्य रोकने से इनकार कर दिया, जिससे साफ संकेत मिलता है कि पुलिस की मिलीभगत से नियम-कानून ताक पर रखे जा रहे हैं।इस मामले में जब सीओ बूढ़नपुर किरनपाल सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब तक कार्रवाई होगी, तब तक क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा या दबंगों द्वारा पूरी तरह रास्ता कब्जा लिया जाएगा?
अगर पुलिस ही न्याय की राह में बाधा बनेगी तो आम जनता की फरियाद कौन सुनेगा? आला अधिकारियों को इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके और कानून का सम्मान बना रहे।