देवल संवादाता,आजमगढ़। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025 जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा है। यह बजट न तो आम आदमी को राहत देता है, न किसानों की चिंता करता है, और न ही युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाता है। यह बजट पूरी तरह से बड़े उद्योगपतियों और चुनावी गिमिक पर केंद्रित है, जिसमें गरीब, मध्यम वर्ग, किसान और छोटे व्यापारी पूरी तरह नजरअंदाज कर दिए गए हैं।
उक्त बातें आम आदमी पार्टी के उप्र प्रांत मीडिया प्रभारी इंजीनियर सुनील कुमार यादव ने कहा।
उन्होंने कुछ मुख्य बिंदु प्रकाश डालते हुए बताया कि 1. राजकोषीय घाटा और बेतहाशा कर्ज: भारत की आर्थिक तबाही का रास्ता
• सरकार 4.4% का राजकोषीय घाटा दिखाने का नाटक कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि देश बेतहाशा कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है।
• अत्यधिक उधारी के कारण ब्याज दरें बढ़ेंगी, जिससे आम जनता के लिए लोन महंगे होंगे, मकान खरीदना मुश्किल होगा और निवेश प्रभावित होगा।
• 2031 तक ऋण-से-जीडीपी अनुपात को 50% तक लाने की बात पूरी तरह से झूठ और दिखावा है, क्योंकि सरकार की आर्थिक नीतियां पूरी तरह अव्यवहारिक और दिशाहीन हैं।
2. किसानों और ग्रामीण भारत के साथ विश्वासघात
• किसानों के नाम पर सिर्फ दिखावटी घोषणाएं की गई हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न तो कर्जमाफी दी गई, न ही एमएसपी पर कोई ठोस आश्वासन।
• सरकार ने केवल दालों और कपास के उत्पादन पर जोर दिया, लेकिन बाकी प्रमुख फसलें और कृषि सेक्टर पूरी तरह असुरक्षित और अनदेखा कर दिया गया।
• मनरेगा जैसी योजनाओं के बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं, जिससे ग्रामीण बेरोजगारी और गरीबी बढ़ेगी।
3. मध्यवर्ग के लिए कर राहत का धोखा: एक हाथ से दिया, दूसरे हाथ से छीन लिया
• ₹12 लाख तक की कर छूट का ढोल पीटा जा रहा है, लेकिन इसका असली असर यह होगा कि सरकार का कर संग्रह कम होगा और फिर इसका बोझ जनता पर अप्रत्यक्ष करों (GST, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स) के जरिए डाला जाएगा।
• कर छूट देकर सरकार जनता को भ्रमित कर रही है, लेकिन असली समस्या यह है कि महंगाई पर कोई नियंत्रण नहीं किया गया, जिससे टैक्स बचत का फायदा भी खत्म हो जाएगा।
• यह एक चुनावी स्टंट है, जो केवल वोटरों को लुभाने के लिए लाया गया है, न कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए।
4. MSME और स्टार्टअप्स की पूरी अनदेखी
• छोटे और मध्यम व्यापारियों (MSMEs) को इस बजट में पूरी तरह से भुला दिया गया।
• न कोई सस्ता लोन, न कोई टैक्स राहत, न ही किसी प्रकार की आर्थिक मदद।
• सरकार सिर्फ बड़ी कंपनियों और कॉरपोरेट्स के लिए योजनाएं बना रही है, जबकि छोटे उद्योगों, स्वरोजगार और स्टार्टअप सेक्टर को गर्त में धकेल रही है।
5. पूंजीगत व्यय में नाममात्र वृद्धि: विकास दर को धक्का
• सरकार का दावा है कि पूंजीगत व्यय ₹11.21 लाख करोड़ तक बढ़ाया गया है, लेकिन यह पूरी तरह से नाकाफी और निराशाजनक है।
• यह निवेश न तो नए उद्योग स्थापित करेगा, न ही रोजगार देगा, न ही अर्थव्यवस्था को कोई मजबूती देगा।
• सरकार विकास दर को ऊंचा दिखाने के लिए सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है, जबकि असलियत में देश का आधारभूत ढांचा धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।
6. महंगाई पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस योजना नहीं
• यह बजट महंगाई से त्रस्त आम जनता के लिए कोई राहत नहीं देता।
• पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम करने की कोई घोषणा नहीं, जिससे ट्रांसपोर्ट और रोजमर्रा की चीजों के दाम और बढ़ेंगे।
• रसोई गैस पर सब्सिडी बढ़ाने की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
7. बेरोजगारी से लड़ने का कोई रोडमैप नहीं
• युवाओं के लिए कोई ठोस रोजगार योजना इस बजट में नहीं।
• इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश की बात की गई है, लेकिन यह अल्पकालिक मजदूरी वाले काम हैं, कोई स्थायी नौकरी नहीं।
• आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, और स्टार्टअप सेक्टर के लिए कोई योजना नहीं, जिससे रोजगार के अवसर न के बराबर रहेंगे।
8. शेयर बाजार की प्रतिक्रिया: कोई विश्वास नहीं
• सार्वजनिक क्षेत्र और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कंपनियों के शेयर गिरे, जो साबित करता है कि निवेशक भी इस बजट को ठुकरा चुके हैं।
• केवल उपभोक्ता-आधारित कंपनियों के शेयर चढ़े, जो दर्शाता है कि यह बजट केवल चुनावी लालच का हिस्सा है, न कि आर्थिक सुधारों का।
निष्कर्ष: यह बजट आम जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा है
• न किसानों के लिए कोई राहत, न गरीबों के लिए कोई सहारा, न ही युवाओं के लिए कोई रोजगार।
• यह बजट सिर्फ बड़े उद्योगपतियों और चुनावी रणनीतियों के लिए बनाया गया है, जिससे जनता और महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट में फंसती जाएगी।
• यह बजट मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की पूरी तरह विफलता का प्रतीक है और भारत को एक गहरे वित्तीय संकट की ओर धकेल रहा है।
जनता के साथ विश्वासघात करने वाली इस सरकार को हटाना ही एकमात्र विकल्प है।