राष्ट्र्पति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जारी किए गए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता को अस्थायी रूप से रोक दिया है।
संघीय बजट की निगरानी करने वाले ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट (ओएमबी) ने एक आदेश में कहा कि ये रोक तब तक रोक रहेगी, जब तक प्रशासन यह सुनिश्चित नहीं कर लेता कि वे रिपब्लिकन राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं।
पाकिस्तान के लिए आफत
90 दिवसीय विदेशी सहायता निलंबन के तहत ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी द्वारा समर्थित देशों में एचआइवी, मलेरिया और तपेदिक के लिए दवाओं के वितरण के साथ-साथ नवजात शिशुओं के लिए चिकित्सा आपूर्ति को रोकने का कदम उठाया।
इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास के अनुसार, अमेरिकी मदद ऐतिहासिक इमारतों, पुरातात्विक स्थलों और संग्रहालयों को संरक्षित रखने में भी मदद करती है। ट्रंप प्रशासन के निर्णय के चलते पाकिस्तान में ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित पांच परियोजनाएं भी रुक गई हैं।
सैन्य मदद पर लगाई थी रोक
इसके अलावा आर्थिक विकास से जुड़ी चार परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। इनमें से एक, सोशल प्रोटेक्शन एक्टिविटी कार्यक्रम को 2025 में समाप्त होना था। बता दें कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य मदद पर रोक लगा दी थी।
आशंका जताई जा रही है कि इनमें से कुछ कार्यक्रम हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे या काफी कम हो जाएंगे। हालांकि अभी तक पाकिस्तान के अधिकारियों ने ट्रंप के एग्जीक्यूटिव आदेश के तहत पाकिस्तान को सहायता रोकने पर पड़ने वाले प्रभाव की पुष्टि नहीं की है।
अनुदानों एवं ऋणों पर भी रोक
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सभी संघीय अनुदानों एवं ऋणों पर रोक लगा दी। उनके इस फैसले से शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, आवासीय सहायता, आपदा राहत और कई अन्य योजनाएं बाधित हो सकती हैं, जो लाखों करोड़ डॉलर की संघीय मदद पर निर्भर हैं।
व्हाइट हाउस का कहना है कि रोक में सामाजिक सुरक्षा एवं चिकित्सा के लिए भुगतान या लोगों को सीधे दी जाने वाली सहायता शामिल नहीं है। इसका मतलब है कि गरीबों के लिए खाद्य सहायता कार्यक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ट्रंप के आदेश को चुनौती
गैर-लाभकारी, सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों और छोटे कारोबारों के चार समूहों ने मंगलवार को एक याचिका दायर की जिसमें उक्त आदेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इसका करोड़ों की अनुदान प्राप्तियों पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ेगा।
डेमोक्रेटिक राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने भी आदेश को अदालत में चुनौती देने की धमकी दी है। डेमोक्रेटिक पार्टी ने अनुदान व ऋणों पर रोक को गैरकानूनी एवं खतरनाक बताया है। सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता चक शूमर ने कहा कि प्रशासन को संसद द्वारा स्वीकृत खर्चों पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है।