देवल संवाददाता, गोरखपुर ।बिहार विधानमंडल में बेतिया एस्टेट की जमीन के अधिग्रहण से संबंधित प्रस्ताव पारित होने के बाद अब गोरखपुर और आसपास के जिलों में भी हलचल बढ़ गई है। गोरखपुर के बेतियाहाता मोहल्ले में बेतिया एस्टेट की 19.91 हेक्टेयर जमीन है, जिसमें खाली पड़े 1500 वर्ग मीटर के प्लॉट को प्रशासन पहले कब्जे में लेगा।
यहां कभी मशहूर खपरैल बंगला हुआ करता था, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। इसकी पैमाइश करा ली गई है, बाकी जमीन के लिए बिहार सरकार की गाइडलाइन का इंतजार है। बिहार के बेतिया एस्टेट की 19.91 हेक्टेयर में करीब सात एकड़ जमीन पर आठ-दस परिवारों का कब्जा है।
इन परिवारों का दावा है कि 1962-63 में एस्टेट के तत्कालीन मैनेजर बीएन भार्गव ने बसाया था। उन्होंने कोर्ट ऑफ वार्ड नियम के तहत प्रबंधन और रखरखाव के लिए मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सभी को रहने की छूट दी थी।
अब इन परिवारों ने जमीन पर अपना हक जताते हुए कोर्ट में केस दायर किया है। इनमें से कुछ का खतौनी में नाम भी दर्ज हो गया है। इन्हीं के पास पहले एक खपरैल बंगला था, जो खंडहर हो चुका है। बाउंड्री भी गिर गई और अब आसपास के लोग यहां कूड़ा फेंकते हैं।
बिहार सरकार की ओर से प्रशासक के तौर नियुक्त सहायक बंदोबस्त अधिकारी बद्री गुप्ता ने बताया कि 15 सौ वर्ग मीटर जमीन को पहले कब्जे में लिया जाएगा। यह जमीन कागजात में बेतिया एस्टेट के नाम से है। इसके अलावा अन्य जमीन की जांच कराई जा रही है। कुछ जमीन के दस्तावेज नहीं हैं। पहले खतौनी में सारी जमीन का रिकॉर्ड दुरुस्त हो जाएगा, उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। बिहार सरकार से भी अधिग्रहण संबंधित अध्यादेश आने के बाद गाइडलाइन आएगी, उसी के हिसाब से आगे की कार्रवाई होगी।
जहां सरकारी दफ्तर हैं, उसके लिए सरकारें करेंगी बात
सहायक बंदोबस्त अधिकारी बद्री गुप्ता ने बताया कि बेतियाहाता में बिहार एस्टेट की जमीन पर कमिश्नर के अलावा कई अधिकारियों के आवास हैं। इसके अलावा नगर निगम की पानी की टंकी और सरकारी स्कूल भी हैं। कुछ जमीन पर आवास विकास परिषद ने आवास बनवाकर आवंटित कर दिए हैं। इसके अलावा सड़कें बनी हुई हैं। ये जमीन करीब 12 से 13 हेक्टेयर क्षेत्रफल में है। इनको लेकर यूपी और बिहार सरकार के प्रतिनिधि बात करके रास्ता निकालेंगे।