देवल संवाददाता। प्रभु श्रीराम के जीवन को बताया आदर्श पाठ
श्री दुर्गा जी मानव सेवा समाज ट्रस्ट द्वारा आयोजित शतचण्डी महायज्ञ का दूसरा दिन
आजमगढ़। समेदा में श्री दुर्गा जी मानव सेवा समाज ट्रस्ट द्वारा आयोजित पांच दिवसीय शतचण्डी महायज्ञ एवं संत प्रवचन के दुसरे दिन संगीतमयी कथा में शक्ति की देवी और प्रभु श्री राम का गुणगान सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। शुभारंभ दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सहस्त्र त्रिपाठी, पूर्व आईएएस नरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया गया। इसके पूर्व यज्ञाचार्यो द्वारा महायज्ञ में मंत्रोच्चारण के साथ आहुति दी जा रही है जिससे पूरा क्षेत्र ऊर्जामयी हो उठा।
प्रवचन महंत गिरी जी ने कहाकि मां दुर्गा को शक्ति की देवी है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने का एक मात्र साधन शत चंडी महायज्ञ है। शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। अत्याचार से त्रैलोक्य में त्राहि त्राहि मची थी। तभी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की उपासना से महा शक्ति के रूप में जगत जननी मां दुर्गा प्रकट हुई। मां दुर्गा जी इस उपासना से प्रसन्न हुई और देवताओं से वरदान मांगने को कहा। तभी देवताओं ने राक्षसों से पृथ्वी को भय मुक्त कराने के लिए मां दुर्गा जी से आग्रह किया। माता ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार किया। कथावाचक ने एकादशी के महात्म का विस्तार से चर्चा के उपरांत बताया कि भगवान श्रीराम, विष्णु के सातवें अवतार माने गए है। वे ’मर्यादा पुरुषोत्तम’ यानी सर्वोत्तम मानव हैं, उनका सम्पूर्ण जीवन मर्यादा का आदर्श पाठ है। प्रभु श्रीराम के आदर्शो को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। इसी के साथ कथा को विश्राम दिया गया।
इस अवसर पर तुषार सिंह, प्रशांत सिंह, विजय बहादुर सिंह, स्वतंत्र सिंह मुन्ना, किशन सिंह, आलोक, रामचरण गौतम, सुधीर सिंह, लकी सिंह, रिंकू सिंह,अनिकेत परिहार, कुणाल सिंह, डा ऋत्विक परिहार, धरभरन चौहान, अजय गौड़ सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।