कृष्ण कुमार तिवारी ब्यूरो, अंबेडकर नगर, दैनिक देवल| यूपी पुलिस रस्सी को सांप बनाने में माहिर है। शाहिद मुनीर सिद्दीकी ने अपने ऊपर दर्ज मुकदमे की पुनर्विवेचना सीबीसीआईडी से कराने की करी मांग । पुलिस को महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध करा कर पुलिस को ही कटघरे में कर दिया खड़ा मुकदमा दर्ज कराने वाली गीता देवी अब बन गई पुलिस है गले की हड्डी
शाहिद मुनीर ने बताया कि भारतीय दंड संहिता 328, 354ख, 323, 504, 506, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के आरोप में 24 जून 2022 को गीता देवी पत्नी राजेश कुमार की शिकायत पर पुलिस द्वारा एक मुकदमा दर्ज किया जाता है शाहिद मुनीर ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि मुकदमा पूरी तरह से फर्जी है। मैंने कभी गीता देवी को देखा ही नहीं । गीता देवी द्वारा थाने पर दी गई तहरीर और अदालत में जज के सामने 164 के बयान दोनों में गीता देवी द्वारा घटनास्थल लखनऊ का कोई बहु मंजिला इमारत का ग्राउंड फ्लोर का कमरा दर्शाया गया है।
विवेचक द्वारा नजरी नक्शे में घटनास्थल थाना आलापुर से 3 किलोमीटर पश्चिम खेत और सफेदा का पेड़ दर्शाया गया। ऐसा इसलिए किया गया है कि जिससे विवेचना आलापुर क्षेत्राधिकारी के पास ही रहे वरना घटनास्थल लखनऊ दर्शाने पर मुकदमा लखनऊ ट्रांसफर करना पड़ता और इन लोगों का षड्यंत्र बेनकाब हो जाता। मजिस्ट्रेट के सामने कलम बंद बयान में गीता देवी ने बताया कि बहु मंजिला बिल्डिंग के नीचे वाले तले में घर की घंटी बजाई गई 23 वर्ष का व्यक्ति गेट खोल अंदर करीब 25 वर्षीय महिला मिली हमने चाय पी चाय पीने के 10 मिनट बाद मुझे नशे सा महसूस हुआ महिला दूसरे कमरे में चली गई। शाहिद ने कमरे की सिटकिनी बंद कर दी और मेरी साड़ी खींच ली जिससे मेरे ब्लाउज का बटन टूट गया। मैं चिल्लाई तभी वहां महिला भाग कर आई । मैं अंदर से गेट खोलकर रोड पर आ गई वहां से अकबरपुर की बस पकड़ कर शाम 400 बजे अकबरपुर बस अड्डे आ गई। वहां मेरे पहचान के एक ऑटो वाले मिले जिनको मैं नहीं जानती उन्होंने मुझे घर तक पहुंचा दिया। जांच तहरीर और कलम बंद बयान की करी जाएगी तो सारे झूठ खुल जायेंगे। परंतु मैं केवल इतना बताना चाहता हूं कि फर्जी मुकदमे में मुझे फसाने और जेल भेजने के लिए यह सब किया गया है। इसीलिए घटनास्थल आलापुर दिखाकर आलापुर क्षेत्राधिकारी आलापुर द्वारा विवेचना की गई। पीड़िता ने तहरीर में और मजिस्ट्रेट के सामने कलम बंद बयान में भी घटना लखनऊ का बहुमंजिला भवन का नीचे के तल का कमरा बताया है और क्षेत्राधिकारी लिखते हैं कि थाना आलापुर से 3 किलोमीटर पश्चिम धान का खेत सफेदा का पेड़ है। मजिस्ट्रेट के सामने कलम बंद बयान जो सबसे मुख्य होता है उसमें पीड़िता ने एक बार भी नहीं कहा कि उसे मारा पीटा गया है और कोई जाति सूचक शब्द कहा गया है। जिसके बाद विवेचना में मारपीट और एससी एसटी की धारा अपने आप समाप्त हो जाती है। लेकिन कलम बंद बयान होने के बाद भी विवेचक ने यह धाराएं नहीं निकाली, चाय में नशीली चीज पिलाने के लिए मेडिकल जांच कराई जा सकती थी कि उसके खून में नशीली चीज का कोई अंश पाया गया कि नहीं परंतु क्षेत्राधिकारी ने करवाना जरूरी नहीं समझा। उन्हें किसी तरह से शाहिद को गिरफ्तार करके जेल में डालना मकसद था। इस घटना में कई सरकारी कर्मचारी अधिकारी ठेकेदार मास्टर और पुलिस वाले शामिल हैं। गीता देवी से पूछ ताछ की जाए तो सब बता देगी। पूर्व में कई पत्रकार और अधिकारी के सामने सारी सच्चाई बयां कर चुकी है। मामले की
निष्पक्ष जांच कराने पर सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। पूरी घटना में मेरे कैरेक्टर को बदनाम करने की कोशिश की गई है। घटना की जांच सीबीसीआईडी से कराई जाए दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।