कार्यकारी निदेशक के खिलाफ डॉक्टर ने खोला मोर्चा- CM पोर्टल पर की शिकायत
Author -
Dainik Deval
सितंबर 11, 2024
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देवल संवाददाता, गोरखपुर। एम्स के कार्यकारी निदेशक के पुत्र की नियुक्ति और फिर इस्तीफे का प्रकरण शांत नहीं हो रहा है। जनरल सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. गौरव गुप्ता ने इस मामले में गलत ओबीसी प्रमाण पत्र से पुत्र का एडमिशन पीजी में कराने की शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय व सीएम पोर्टल पर की है। इसे लेकर एम्स थाने में भी तहरीर दी है। वहीं, कार्यकारी निदेशक ने डॉ. गुप्ता पर प्रमोशन नहीं मिलने के बाद जान बूझकर गलत आरोप लगाने की बात कही है।एडिशनल प्रोफेसर डॉ. गौरव गुप्ता ने शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल ने गलत तरीके से नॉन क्रीमी लेयर का प्रमाण पत्र बनवाया है। वह स्वयं तीन से चार लाख रुपये मासिक वेतन पाते हैं। उनकी पत्नी जिपमर पुंडुचेरी में प्रोफेसर हैं। उनका भी वेतन तीन से चार लाख रुपये मासिक है।ऐसे में वह नॉन क्रीमी लेयर की श्रेणी में कैसे हो सकते हैं। यह भी आरोप लगाया है कि पटना एम्स के निदेशक आवास के पते पर यह प्रमाण पत्र बनवाया गया है जो की गलत है, क्योंकि उनका स्थाई निवास उड़ीसा है। जिपमर पुंडुचेरी में मूलरूप से तैनात हैं। यह डोमिसाइल उड़ीसा या जिपमर से बनना चाहिए था। उनके बेटे के गलत प्रमाण पत्र के कारण माइक्रोबायोलॉजी में ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर की एक सीट खराब हो गई।डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि निदेशक ने अपने बेटे का 30 अगस्त को एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में पीजी सीट पर एडमिशन कराया था। यह सीट ओबीसी श्रेणी में नॉन क्रीमी लेयर के लिए रिजर्व थी। विवाद की सुगबुगाहट होने पर तीन सितंबर को एडमिशन कैंसिल करा दिया।नीट पीजी में अब काउसिलिंग नहीं होगी। ऐसे में यह सीट खराब हो गई। इससे ओबीसी कैटेगरी के किसी गरीब छात्र का हक मारा गया है। पहले भी गलत तथ्यों के आधार पर आराेप लगाए गए थे। हमने पहले ही स्पष्ट किया है कि बेटे ने अरुचि के चलते सीट छोड़ी है। आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई विवाद नहीं है।कार्यकारी निदेशक डॉ जीके पाल ने बताया कि डॉ. गौरव गुप्ता और उनकी पत्नी पर कई गंभीर आरोप हैं। ये लोग प्रमोशन के लिए दबाव बना रहे हैं। ये आरोप इसीलिए लगाए जा रहे हैं, ताकि मैं इनके खिलाफ आई शिकायतों पर कार्रवाई न करूं।