देवल ब्यूरो चीफ, कृष्ण कुमार तिवारी। विकास खंड परिसर टांडा में अधिकारियों कर्मचारियों के लिए बनाए गए सरकारी आवास में अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध रूप से रह रहे हैं बाहरी लोग। ब्लॉक के बाहर चाय की दुकान पर लोगों ने बताया कि कुछ तो नशे के कारोबारी भी रहते हैं। कुछ दिन पहले सुनने में आया था कि परिसर में बने आवास में बाहरी लोग रहते हैं जब पत्रकारों की टीम वहां देखने गई और खंड विकास अधिकारी से उसके बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि नहीं कोई बाहरी नहीं रहता सब सरकारी कर्मचारी ही रहते हैं सबको आवंटित है इसके पूर्व में भी कार्यालय प्रधान सहायक ने लिखित में दिया था कि कोई आवास रिक्त नहीं सब में सरकारी अधिकारी कर्मचारी रहते हैं। जब इसकी शिकायत की गई कि परिसर में बने आवास किन किन को आवंटित है कौन कौन किराया देता है। तो रिपोर्ट लगाई गई कि जितने आवास में लोग रहते हैं उतने का किराया लिया जाता है फिर शिकायत दी गई की कितने और किन-किन आवास में कौन-कौन लोग रहते हैं कौन किराया देते हैं तो बताया गया कि प्रकरण सूचना से संबंधित है सूचना मांग लीजिए। जब सूचना मांगी गई की कितने आवास बने हैं किन आवास में कौन-कौन कर्मचारी रहते हैं और कितना किराया कटता है तब जवाब आया कि यह व्यक्तिगत मामला है सूचना अधिकार अधिनियम में नहीं दिया जाएगा। इसके बाद संदेश बढ़ गया कि शिकायत सही है कि आवासीय परिसर में अराजक तत्व रहते हैं और उनसे खंड विकास अधिकारी द्वारा किराया वसुला जाता है। जब पत्रकारों की टीम फिर से विकास खंड परिसर का दौरा करने गई और वीडियो बनाने का प्रयास किया तो संयुक्त खंड विकास अधिकारी अनिल कुमार राय ने इसका विरोध किया और उन्होंने कहा कि आप सूचना से मांग लीजिए हम दे देंगे कौन-कौन रहते हैं। गेट के बाहर आने पर आसपास के दुकान पर मौजूद लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विकास खंड परिसर में बने आवास में कुछ नशे का कारोबार करने वाले बाहरी लोग रह रहे हैं जिनको खंड विकास अधिकारी द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है। कोई विकास खंड परिसर में संदेह भी नहीं करता कि ऐसे लोग यहां रहते होंगे। क्योंकि सारे आवास तो कर्मचारियों के लिए बने हैं तो बाहरी व्यक्ति वहां रह ही नहीं सकता। शिकायतों का जिस तरह से खंड विकास अधिकारी द्वारा निस्तारण किया जाता है और अनिल कुमार राय जिस तरह से पत्रकारों को जवाब देते हैं उससे यह सिद्ध हो गया कि विकास खंड परिसर में सरकारी कर्मचारी नहीं रहते हैं उनकी जगह पर बाहरी लोगों को किराए पर देकर यह लोग किराया वसूलते हैं एक कर्मचारी से पूछने पर पता चला कि कई एडीओ रैंक के अधिकारी, अकाउंटेंट, जेई आर ई एस और प्रधान सहायक इन लोगों के नाम से आवास आवंटित नहीं यह लोग अपने घर से आते जाते हैं। खंड विकास अधिकारी खुद यहां नहीं रहते उनके लिए बने आवास में अनिल राय संयुक्त खंड विकास अधिकारी कब्जा किए हैं। जिसे अनिल राय ने भी अपने बयान में स्वीकार किया। किसी आवास पर अधिकारी का नाम पदनाम पट्टिका भी नही लगी है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि जब किसी एडीओ, अकाउंटेंट जे ई और बाबू के नाम से आवास आवंटित नहीं है तो आवास दिया किसको गया है यह जांच का विषय है लेकिन जांच करें कौन। जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर इतना बड़ा भ्रष्टाचार फर्जीवाड़ा करके सरकार को चुना लगाया जा रहा है।सरकारी कॉलोनी में नशे का कारोबार करने वाले रहते हैं और किसी को कोई परवाह नही है। यह सब बिना ऊपर तक के अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि अधिकारियों के लिए बने आवास में वह नहीं रहते मतलब मुख्यालय पर कोई नहीं रुकता सब रोज अपने घर चले जाते हैं तो इन्हे रोज घर जाने की अनुमति कौन देता है।नियम तो यही है कि बिना अनुमति के कोई अधिकारी मुख्यालय नही छोड़ सकता। खबर जितनी चौंकाने वाली है उतनी ही भयावह भी है अब देखना यह है कि जिले के बड़े अधिकारी इसका संज्ञान लेकर किस तरह की कार्यवाही करते हैं।