गोरखपुर में फर्जी असलहा लाइसेंस बनाकर लोगों को असलहा तक खरीदवाने वाले कर्मचारियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई अब नहीं ही होगी। सात बार फाइल पर डीएम दफ्तर से आपत्ति लगने के अब पुलिस भी खामोश हो गई है। क्योंकि, पुलिस हर बार आपत्ति का जवाब दे चुकी है। कानून के जानकारों की माने तो पुलिस के चार्जशीट पर केस तो चलेगा, लेकिन गैंगस्टर के आरोपी बनाए गए अन्य अभियुक्त भी इसे आधार बनाकर गैंगस्टर से बच सकते हैं।जानकारी के मुताबिक, चार अगस्त 2019 को फर्जी शस्त्र लाइसेंस का प्रकरण सामने आया था। गोरखनाथ थाना क्षेत्र के रहने वाले तनवीर अहमद को पुलिस ने गिरफ्तार कर जिले में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। तत्कालीन असलहा बाबू राम सिंंह ने इस मामले में केस दर्ज कराया था।पुलिस की जांच में पता चला कि असलहा बाबू रहे राम सिंह, पूर्व असलहा बाबू अशोक गुप्ता, सेवानिवृत्त बाबू विजय प्रताप श्रीवास्तव, संविदाकर्मी अजय प्रताप गिरी भी गिरोह से जुड़े थे। नाम प्रकाश में आने के बाद पुलिस ने इनके साथ ही मुख्य आरोपी गन हाउस के संचालक रवि पांडेय समेत 15 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था।विवेचना में आरोप की पुष्टि होने पर विजय प्रताप, विकास तिवारी, तनवीर, शमशेर आलम, प्रणय प्रताप, शमशाद, विजय प्रताप श्रीवास्तव, आजम लारी, शाहिद अली, अशफाक अहमद, विवेक मद्धेशिया, रवि प्रताप पांडेय, राम सिंह, अशोक गुप्ता और अजय प्रताप गिरी को आरोपी बनाया। लेकिन कुछ सरकारी कर्मियों की संलिप्तता की वजह से कुछ लोगों के खिलाफ ही चार्जशीट दाखिल की गई।20 जुलाई 2021 को तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमारपी ने दोबारा जांच के निर्देश दे दिए। इस प्रकरण के लिए उन्होंने एसआईटी भी गठित कर दी। तब से प्रकरण में पुलिस की जांच जारी थी, पांच महीने पहले जांच पूरी हो गई। डीएम के पास इसकी संस्तुति के लिए पुलिस ने पत्राचार किया था।आदेश मिलने के बाद ही पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया और फिर कर्मचारियों पर गैंगस्टर किए जाने के लिए फाइल तैयार की थी, लेकिन इसे संस्तुति नहीं मिल पाई। पुलिस की जांच में सामने आया था कि करीब 200 लोगों को फर्जी लाइसेंस जारी किए गए थे, लेकिन असलहों और लाइसेंस की बरामदगी नहीं हो पाई थी।डीएम के निर्देश पर मार्च 2021 में तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कैंट अनिल उपाध्याय ने विजय प्रताप सिंह, विकास तिवारी, तनवीर, शमशेर आलम, प्रणय प्रताप सिंह, शमशाद, आजम लारी, शाहिद अली, अशफाक अहमद, विवेक मद्धेशिया, रवि प्रताप पांडेय, अजय प्रताप गिरी के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई करते हुए केस दर्ज कराया, लेकिन पूरी चार्जशीट न होने की वजह से तब तीन आरोपी कर्मचारियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई नहीं हो पाई।पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन कृष्ण बिहारी दूबे ने बताया कि किसी भी गिरोह में शामिल सभी अभियुक्तों पर गैंगस्टर की कार्रवाई होती है। अगर एक ही केस में आधे आरोपियों पर पहले गैंगस्टर हो गया है और फिर सरकारी कर्मचारी होने के नाते बाकी लोगों का बाद में चार्जशीट गया है और उन पर गैंगस्टर की कार्रवाई नहीं हुई है तो इसका फायदा अन्य आरोपियों को मिलेगा।क्योंकि गिरोह पर गैंगस्टर की कार्रवाई होती है, उसमें से कुछ का नाम शामिल न करने का कोई कानून नहीं है। गैंगस्टर के आरोपी बनाए गए अन्य लोग भी कोर्ट में गैंगस्टर को लेकर अपील करेंगे तो वह भी बच जाएंगे।