पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पं. रामकृष्ण द्विवेदी के दामाद और पूर्व विधायक त्रियुगी नारायण मिश्र (टीएन मिश्रा) के परिवार की आवभगत में कभी पूरा सरकारी अमला चलता था, मगर आज ऐसे दुर्दिन दिन आए कि उनका सामान भी आवंटित हुए घर से निकालकर बाहर फेंक दिया गया। लंबे अरसे लालबत्ती से घिरे रहे पूर्व विधायक टीएन मिश्रा परिवार के लिए इतना भी नहीं छोड़ गए कि जीवन यापन भी हो सके। आज सड़क पर आने की नौबत है।सहजनवां से कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे टीएन मिश्रा का परिवार आज मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है। दोनों बेटों का परिवार विश्वविद्यालय चौराहे के नजदीक स्थित जिस किराए के मकान में रहता है, उस पर भी विवाद चल रहा है। दूसरा पक्ष मकान खाली कराने का दबाव बनाए हुए है। पूर्व विधायक के परिजनों का कहना है कि अगर मकान खाली कराया गया तो सड़क पर दिन गुजारने की नौबत आ जाएगी..।कैबिनेट मंत्री रहे पं. रामकृष्ण द्विवेदी के दामाद त्रियुगी नारायण मिश्र (टीएन मिश्रा) सहजनवां क्षेत्र के सीहापार टड़वा खुर्द गांव के रहने वाले थे। वह सहजनवां से कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। टीएन मिश्र के छोटे पुत्र दिनेश मिश्र बताते हैं कि मंगलम टॉवर में नाना (पं. रामकृष्ण द्विवेदी) के नाम से मकान आवंटित था। हमारा परिवार वहीं रहता था।वर्ष 1988 में पिताजी के नाम से सिविल लाइंस स्थित वर्तमान आवास आवंटित हो गया तो परिवार यहीं आकर रहने लगा। वर्ष 2001 में पिताजी की मृत्यु हो गई। शहर में कोई दूसरी प्रापर्टी नहीं थी। पिताजी ने एक लाख रुपये कर्ज लेकर एक प्लॉट खरीदा था, जिसे लेकर बाद में विवाद होने लगा तो बेचना पड़ा। उस जमीन को बेचने से जो पैसा मिला, उससे पिताजी के लिए हुए कर्ज चुकाए गए। आज परिवार के पास आय का कोई दूसरा स्रोत नहीं है।दिनेश और उनके बड़े भाई राकेश मिश्र के पास आय का कोई मजबूत स्रोत भी नहीं है। परिवार भी अब राजनीति से दूर हो चुका है। पूर्व विधायक की एक बेटी की अभी तक शादी भी नहीं हो पाई है। इस परिवार की असल चिंता यह है कि अगर विवाद के चलते यह मकान खाली करना पड़ा तो उनके पास कहीं कोई आसरा नहीं है।इस परिवार की बड़ी बहु राकेश मिश्रा की पत्नी आद्या मिश्रा का कहना है-किसी तरह से हम यहां जीवन यापन कर रहे हैं। राजनीति में पद पर रहते मेरे ससुर ने सारा समय समाज को दिया। अपने या परिवार के लिए कोई संपत्ति नहीं बनाई। आज मदद के बजाय घर से भी बेदखल किया जा रहा है। सोमवार की घटना से बच्चे सहमे हुए हैं। दो दिन से सबकी भूख प्यास मर गई है।