ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाना में मछलियां मर गई थीं, इसलिए सफाई के लिए अदालत में आवेदन दिया गया था। इसके साथ ही वजूखाना का भी एएसआई सर्वेक्षण कराने की मांग अदालत में की थी। जिस पर न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करने के लिए कहा। अब वजूखाना वाले एरिया का एएसआई सर्वेक्षण कराने के लिए हम सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देने जा रहे हैं। वकील ने कहा कि वजूखाना क्षेत्र की एएसआई सर्वेक्षण होगा। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह 'शिवलिंग' है या फव्वारा। फिलहाल, वजूखाना क्षेत्र को सील कर दिया गया है। क्षेत्र को साफ कर दिया गया है। इसकी निगरानी अभी वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट के पास है। वकील का कहना है कि हम यह मानते कि वहां शिवलिंग है पर जब तक एक एक्सपर्ट बॉडी ऐसा ना कहते कि वह शिवलिंग है तब तक उसको कैसे तय किया जा सकता है। इसलिए हम यह चाहते हैं कि वजूखाना की दीवारों को हटाया जाए और हमारा ऐसा मानना है शिवलिंग काफी नीचे तक गया हुआ है। यह फर्स्ट फ्लोर में मिला था जो काफी नीचे तक गया हुआ जड़ से निकलता हुआ शिवलिंग है। स्वयंभू शिवलिंग है और उसका अर्घा भी सारी चीज वहां पर आसपास मिलेंगे। तो जब वजूखाना की दीवारें टूटेंगी तो वह सारी चीजें सिद्ध होंगी और उसके बाद जब सिद्ध हो जाएंगे तो तुरंत पूजा का पाठ का अधिकार हमें मिलना चाहिए।वकील का कहना है कि एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के बाद हम जीत की कगार पर होंगे। मुझे विश्वास है कि हम वह दिन देख पाएंगे जब ज्ञानवापी इस अवैध अतिक्रमण से मुक्त हो जाएगी।