आमिर, देवल ब्यूरो ,जौनपुर। नगर के मायापुर कालोनी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन के 5वें दिन वाराणसी से पधारे कथा वाचक डा. मदन मोहन मिश्र मानस कोविद ने पूतना उद्धार की चर्चा करते हुये कहा कि पूतना दूध के बहाने जहर पिलाना चाहती थी जिस कारण भगवान ने उसे देखा ही नहीं। भगवान् ने आंख बंद करके भोले बाबा को याद किया और कहा कि जहर पीने का अभ्यास आपको है। राजा बलि ने पूर्ण समर्पण किया जिस कारण वामन भगवान अति प्रसन्न हुये और उसके दरवाजे पर दर्शन देने के लिए खड़े रहे। शुक्राचार्य ने राजा बलि को दान करने से रोका जिस कारण उनकी वैराग्य की एक आंख चली गयी। कन्हैया ने इन्द्र की पूजा न करके गोवर्धन की पूजा कर बताया कि हमें कुरीतियों को परम्परा के नाम पर ढोना नहीं चाहिए, बल्कि प्रगति वादी बनकर अच्छी परम्परा का सृजन करना चाहिए।
कथा वाचक ने कहा कि कन्हैया ने गोपियों को मर्यादा की शिक्षा देने के लिए चीरहरण किया और द्रौपदी की मर्यादा की रक्षा के लिये वस्त्रावतार लिया। कन्हैया ने कालिया नाग को भगाकर यमुना जल को प्रदूषण मुक्त कराया। उसी का जीवन धन्य है जो अपने प्रत्येक इन्द्रियों से भगवान की सेवा करे। जब हम अपने कर्मों को कर्तृत्वाभिमान और फलाकांक्षा से रहित होकर भगवान के चरणों में चढ़ा देंगे तो भगवान अपने हाथों से हमारे सिर का सारा भार उठा लेते हैं। मंच संचालन डा. अखिलेश चन्द्र पाठक ने किया। आभार प्रकाश आयोजक दिनेश जायसवाल ने किया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा प्रतिदिन दिनेश जायसवाल रघुकुल निवास मायापुर कालोनी में चल रही है। अन्त में आरती पूजन करके भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया।
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