देवल संवाददाता, लखनऊ।प्रदेश में महिला पीड़िताओं का बयान महिला पुलिसकर्मी ही ले सकेंगी। हाईकोर्ट की ओर से इस बाबत सख्त निर्देश जारी करने के बाद डीजीपी राजीव कृष्ण ने मातहतों को पत्र जारी किया है। उन्होंने विवेचना के दौरान दर्ज किए गए साक्षियों के बयान पर उनके हस्ताक्षर नहीं करने के बारे में भी आगाह किया है।
हाईकोर्ट के अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता ने 15 अक्तूबर को भेजे पत्र के माध्यम से सूचित किया है कि हाईकोर्ट के सामने लगातार ऐसे प्रकरण प्रस्तुत हो रहे हैं, जिनमें साक्षियों के बयान पर उनके हस्ताक्षर लिए गए हैं। इसके अलावा महिला पीड़ित का बयान महिला पुलिस अधिकारी या महिला अधिकारी द्वारा दर्ज नहीं किया गया है।
डीजीपी द्वारा इस बाबत जारी पत्र में कहा गया है कि बयान अंकित करने के संबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धाराओं में दी गई व्यवस्था का पालन करना अनिवार्य है। विधि द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने का लाभ अंत में अभियुक्तों को मिलता है और पीड़ित का न्याय पाने का अधिकार बाधित होता है। उन्होंने निर्देश दिया है कि पीड़ित महिला का बयान महिला पुलिस अधिकारी या महिला अधिकारी द्वारा उसके निवास स्थान अथवा इच्छित स्थान पर दर्ज किया जाए, जिसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाए। वहीं विवेचना के दौरान साक्षियों के बयान पर उनका हस्ताक्षर नहीं लिया जाए।
