पुणे पुस्तक महोत्सव में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय परंपराओं का जोरदार बचाव किया और भगवान कृष्ण व हनुमान को महानतम राजनयिक बताया। जब उनसे पूछा गया कि भारत के लिए एक जयशंकर ही काफी हैं, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि सवाल गलत है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान भी महानतम राजनयिक थे। एक महाभारत की कहानी के महान राजनयिक हैं, तो दूसरे रामायण के महान राजनयिक हैं।
उन्होंने कहा कि हम सोचते हैं कि महाभारत शक्ति, संघर्ष और परिवार के बारे में है। हम रामायण की जटिलताओं, युक्तियों, रणनीतियों और रणनीति के बारे में स्वाभाविक रूप से नहीं सोचते। इसलिए, जब किसी ने मुझसे पूछा, 'आपकी राय में सबसे महान कूटनीतिज्ञ कौन हैं?' तो उस समय मैंने कहा, भगवान कृष्ण और हनुमान।
हनुमान के कार्यों पर विचार कीजिए
हनुमान को सूचना जुटाने के लिए श्रीलंका भेजा गया था। वे सूचना जुटाने में सफल रहे। वे माता सीता से मिलने तक गए। उन्होंने सीता का मनोबल बढ़ाया। वे दरबार में गए, रावण की पूरी योजना का जायजा लिया, विभीषण का कुशल मार्गदर्शन किया और फिर एक तरह से उन्होंने रावण को मनोवैज्ञानिक रूप से पराजित कर दिया। इससे बड़ा कूटनीतिज्ञ और कौन हो सकता है? उन्हें एक काम सौंपा गया था और उन्होंने उसे दस गुना बेहतर तरीके से पूरा किया, वो भी उम्मीदों से कहीं बढ़कर।
एक जयशंकर ही काफी हैं?
जब उनसे पूछा गया कि क्या देश के लिए एक जयशंकर ही काफी हैं, तो जयशंकर ने कहा कि आपका सवाल ही गलत है। उन्होंने कहा कि आपको मुझसे पूछना चाहिए था- मोदी एक ही हैं। क्योंकि अंततः, श्री हनुमान ही सेवा करते हैं... देशों का निर्माण नेताओं और दूरदृष्टि से होता है। ऐसे लोग होते हैं जो इसे क्रियान्वित करते हैं। लेकिन अंततः, यह दूरदृष्टि, नेतृत्व और आत्मविश्वास ही है जो आज फर्क पैदा करता है।
उन्होंने कहा कि प्रतिभा पलायन एक बहुत ही जटिल मुद्दा है, आज मुझे भारतीय प्रतिभाओं के लिए वैश्विक अवसर दिखाई दे रहे हैं, वास्तव में, अभी हाल ही में राष्ट्रपति पुतिन आए थे। हमारे बीच हुए समझौतों में से एक यह था कि वे भारतीयों को रूस में आकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे।
जब मैं दुनिया की जनसांख्यिकी पर नजर डालता हूं, तो मेरा नजरिया यूरोप पर जाता है ।भले ही यूरोप में आप्रवासन को लेकर बहस चल रही हो, भारतीयों को अच्छी नजर से देखा जाता है, इसलिए आज भारतीयों का एक वैश्विक ब्रांड बन चुका है। यह एक अच्छा ब्रांड है।
गठबंधन की राजनीति का युग
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज की दुनिया गठबंधन की राजनीति का युग है। किसी के पास बहुमत नहीं है। किसी गठबंधन के पास बहुमत नहीं है। इसलिए होता यह है कि लगातार गठबंधन बनते रहते हैं, समझौते होते रहते हैं, कोई सत्ता में आता है, कोई सत्ता से बाहर हो जाता है, कोई न कोई मुद्दा सामने आ जाता है। बहुध्रुवीय दुनिया कई दलों की तरह है, कभी आप एक दल के साथ होते हैं, तो किसी दूसरे मुद्दे पर दूसरे दल के साथ। लेकिन इन सबके बीच मेरा एक ही सिद्धांत है, अपने देश की मदद करना। इसलिए जो भी मेरे देश की मदद करे, वही मेरी पसंद है।