प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का हुआ आयोजन
कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड द्वारा प्रायोजित रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का भव्य आयोजन गुरुवार को रजौर घाट (निकट एनटीपीसी टाण्डा) पर किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन मत्स्य विभाग अम्बेडकरनगर द्वारा किया गया, जिसमें क्षेत्र के मत्स्य पालकों, ग्रामीणों और अधिकारियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक कटेहरी धर्मराज निषाद रहे, जिन्होंने सरजू नदी में दो लाख मछली के बच्चों को प्रवाहित कर अभियान की शुरुआत की।रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के तहत सरजू नदी में मछली के बच्चों को छोड़े जाने का उद्देश्य नदी में मत्स्य संसाधनों की वृद्धि, जैव विविधता का संरक्षण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना है। इसके साथ ही यह प्रयास मत्स्य पालकों की आमदनी में वृद्धि और मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धर्मराज निषाद ने कहा कि मत्स्य पालन आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक प्रभावी साधन बन चुका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार मछुआ समुदाय के विकास, रोजगार सृजन और मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। धर्मराज निषाद ने कहा कि सरयू नदी जैसी ऐतिहासिक और पवित्र नदियों में रिवर रैंचिंग जैसे कार्यक्रम पर्यावरणीय संरक्षण और आजीविका संवर्धन दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।उन्होंने मत्स्य पालकों से अपील की कि वे आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर मत्स्य पालन को व्यावसायिक रूप दें। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन को कृषि के समान महत्व देने की दिशा में सरकार ठोस कदम उठा रही है। इस मौके पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से जिले में मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।मत्स्य विभाग के जिला अधिकारी ने बताया कि रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के माध्यम से नदियों और जलाशयों में मछलियों की संख्या बढ़ाने के लिए नियमित रूप से मछली के बच्चों को छोड़ा जा रहा है। इससे न केवल मत्स्य संपदा में वृद्धि होगी बल्कि मछुआ समुदाय को स्थायी आजीविका के अवसर भी मिलेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय मत्स्य पालक, ग्रामीण, जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने नदी में मछली के बच्चों को छोड़े जाने की प्रक्रिया में भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।रजौर घाट पर आयोजित यह कार्यक्रम मत्स्य संपदा योजना की सफलता और जिले के सतत विकास की दिशा में एक प्रेरक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
