देवल संवादाता,वाराणसी। आईएमएस बीएचयू के ट्रामा सेंटर में बुधवार को आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने सर्जरी से जुड़ी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। इसमें वक्ताओं ने कहा कि सर्जरी के जनक सुश्रुत की धरोहर को आधुनिक तकनीक के माध्यम से संरक्षित करने की जरूरत है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से सर्जरी के उपकरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा। ट्रामा सेंटर के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एम्स नई दिल्ली से प्रोफेसर मनीष सिंघल, बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर राणा पीवी सिंह, प्रोफेसर विभा त्रिपाठी, प्रोफेसर आनंद चौधरी सहित अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, थ्रीडी स्कैनिंग, वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीक के माध्यम से पांडुलिपियों के साथ-साथ प्राचीन शल्य उपकरणों को भी सुरक्षित किया जा सकता है।
सुश्रुत ने न केवल शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के जनक माने जाते हैं, बल्कि उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से चिकित्सा को एक समग्र एवं व्यावहारिक स्वरूप प्रदान किया।
बीएचयू ट्रामा सेंटर प्रभारी प्रोफेसर सौरभ सिंह ने कहा कि इन तकनीकों के माध्यम से न केवल भारत की चिकित्सा विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया जा सकेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य शैक्षणिक एवं अनुसंधान संसाधन के रूप में भी कार्य करेगा। इस दौरान आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर एस एन संखवार, प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़, डॉक्टर विकास कुमार सिंह, प्रोफेसर कमलनयन द्विवेदी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
