देवल संवाददाता, आज़मगढ़। जिले को जीरो फेटैलिटी डिस्ट्रिक्ट (शून्य मृत्यु दर वाला जिला) बनाने के लक्ष्य के तहत सात प्रमुख सड़कों को क्रिटिकल कॉरिडोर घोषित किया गया है। इन मार्गों को सबसे अधिक दुर्घटना-प्रवण माना गया है, जिनमें आजमगढ़–दोहरीघाट, आजमगढ़–वाराणसी, आजमगढ़–जौनपुर राजमार्ग तथा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे प्रमुख हैं। इन सड़कों पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को न्यूनतम करना प्रशासन की प्राथमिकता है।
इसी के तहत कुल 24 क्रिटिकल कॉरिडोर टीमों (सीसी टीम) का गठन किया गया है। हर टीम में एक उपनिरीक्षक और चार मुख्य आरक्षी/आरक्षी शामिल होंगे, जो 15 थानों के क्रिटिकल पॉइंट्स पर लगातार निगरानी रखेंगे। गुरुवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार के निर्देशन में एएसपी ट्रैफिक विवेक त्रिपाठी ने पुलिस लाइन सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें 24 उपनिरीक्षकों और 24 आरक्षियों को दुर्घटना रोकथाम और प्रवर्तन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रशिक्षण दिया गया।
क्रिटिकल कॉरिडोर टीमों की प्रमुख जिम्मेदारियां
दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में, खासकर शाम के समय, एआरओ द्वारा गहन चेकिंग।
क्रिटिकल कॉरिडोर पर होने वाली दुर्घटनाओं के अभियोगों की विशेष विवेचना।
प्रवर्तन कार्यवाही के तहत रात में भारी वाहनों की आकस्मिक चेकिंग, चालक की थकान व नींद की स्थिति की जांच।
टी-पॉइंट, वाई-पॉइंट और चौराहों पर अतिक्रमण पर रोकथाम।
सड़क किनारे खड़े खराब व बाधक वाहनों को तुरंत हटवाना।
बॉडीवॉर्न कैमरा, सेफ्टी टॉर्च, पीए सिस्टम, इंटरसेप्टर, कोन आदि उपकरणों का उचित उपयोग।
ढाबों, होटलों, मैरिज हॉल और पेट्रोल पंपों के बाहर अवैध पार्किंग रोकना और सुनिश्चित करना कि इससे मुख्य सड़क अवरुद्ध न हो।
क्रिटिकल कॉरिडोर पर होने वाली दुर्घटनाओं की जांच उसी कॉरिडोर पर नियुक्त उपनिरीक्षक द्वारा की जाएगी, ताकि जांच त्वरित और सटीक हो सके।
