देवल संवाददाता, चक्रपानपुर। विजयदशमी पर महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित मंदिर और माँ सरस्वती की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार, कुसचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र, वित्ताधिकारी जे.एन. झा, परीक्षा नियंत्रक, सहायक कुलसचिव सहित कई शिक्षक, कर्मचारी और कई संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित रहे। मुख्य यजमान के रूप में विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. अंकुर चौबे और महिला छात्रावास की अधीक्षिका डॉ. विभा मिश्रा ने भूमिका निभाई।
मंदिर परिसर में दिनभर विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही दोनों अकादमिक ब्लॉक के बीच माँ सरस्वती की मूर्ति में भी प्राण प्रतिष्ठा की गई। काशी से आए पुरोहितों ने बताया कि मंदिर की स्थापना का उद्देश्य ईश्वर की आराधना और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करना है। मंदिर शिक्षा, संस्कृति, आर्थिक समृद्धि और सामाजिक एकता का केंद्र भी हैं, जो सनातन परंपराओं को जीवंत रखते हैं। मंदिरों में नियमित दर्शन से वैदिक शिक्षाओं की समझ बढ़ती है, मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इसी दिन विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तहत बापू बाजार मेले का आयोजन हुआ, जो पूर्व कुलपति प्रो. सुंदरलाल शर्मा के सामाजिक आदर्शों पर आधारित था। मेले का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलगीत व महात्मा गांधी का लोकप्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम के साथ हुई । कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्वदेशी और सत्य, प्रेम, अहिंसा के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। बापू बाजार मेले में जरूरतमंद लोगों को कम कीमत पर घरेलू वस्तुएँ उपलब्ध कराई गईं, जिससे उनकी गरिमा बरकरार रखते हुए सहायता की गई।
कुलपति ने मेले में उमड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि स्वदेशी केवल खादी तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत की दिनचर्या का हिस्सा बन रही है। यह कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन देता है, रोजगार सृजन करता है और आर्थिक समृद्धि का आधार बनता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे नारी गरिमा को सम्मान और आर्थिक बचत हुई है। मेले में विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गाँवों के लोग, ग्राम प्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों ने हिस्सा लिया।
बापू बाजार के समन्वयक प्रो हसीन खान व टीम ने कुलपति का स्वागत गांधीजी के चरखे और अंगवस्त्र से किया। बापू बाजार मेले को पूर्व कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद और वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री केसलाल ने भी काफी सराहा। डॉ. अंजनी कुमार मिश्र और एनएसएस समन्वयक डॉ. देवेंद्र कुमार पांडेय ने मेले में आए लोगों का आभार व्यक्त किया। वित्ताधिकारी जे.एन. झा ने कहा कि गांधीजी का सपना अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुँचाना और गरीब-अमीर की खाई को मिटाना था।
यह आयोजन एकता, शांति और सौहार्द का प्रतीक रहा, जिसमें विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों ने स्टॉल लगाकर पाँच, दस और पंद्रह रुपये प्रतीकात्मक मूल्य में कपड़े, खिलौने आदि ग्रामीणों को दिए। ग्रामीणों ने इस मेले में काफी रुचि ली । लोगों में इस मेले की सार्थकता को इसी प्रकार से समझा जा सकता है कि 5 10 20 रुपए से खरीदे गए समानों से बापू स्वाभिमान कोष में 30 हजार से अधिक रुपए जमा हो गए। यह मेला सामाजिक समावेश और स्वदेशी के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। प्रो हसीन खान ने इस सफल आयोजन का श्रेय विश्वविद्यालय के शिक्षकों की 12 सदस्य टीम को दिया
