कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर । नगर पंचायत जहांगीरगंज में एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसमें पारदर्शिता और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि नगर पंचायत अध्यक्ष ने अपने सगे भाई महेश कुमार की नियुक्ति सफाईकर्मी के पद पर *आउटसोर्सिंग एजेंसी मेसर्स एकता इंटरप्राइजेज के* माध्यम से कराई— और वह पिछले सात महीनों से नियमित वेतन ले रहे हैं, जबकि उन्होंने एक दिन भी कार्य नहीं किया।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि महेश कुमार को न कभी सफाई करते देखा गया, न ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से कोई कार्यभार संभाला। जब इस अनियमितता की शिकायत की गई तो अधिशासी अधिकारी ने उनके समर्थन में कुछ Geo-tagged फोटोग्राफ्स प्रस्तुत किए, जिनमें से एक 13 जून 2025 का है, जबकि अन्य तीन 2024 के पुराने फोटोज बताए जा रहे हैं। इससे यह संदेह और गहराया कि जांच से पहले आनन-फानन में एक फोटो कार्यालय के सामने खिंचवाया गया, जबकि बाकी तस्वीरें शायद किसी विशेष अवसर की हों।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह मामला एक सुनियोजित नियुक्ति घोटाले की ओर इशारा करता है, जिसमें न सिर्फ अध्यक्ष, बल्कि आउटसोर्सिंग एजेंसी की भूमिका भी संदिग्ध लगती है। प्रश्न उठता है—क्या यह नियुक्ति नियमों के तहत हुई थी? क्या एजेंसी ने अध्यक्ष के रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने के लिए चयन प्रक्रिया को दरकिनार किया?
*विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रकरण केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नगर पंचायतों में फैल रहे संभावित भ्रष्टाचार का संकेत हो सकता है।*
इस पूरे घटनाक्रम ने शासनादेशों की खुली अवहेलना और नियुक्ति प्रणाली की पारदर्शिता पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। अब आवश्यकता है एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की, ताकि सच्चाई सामने आ सके और जिम्मेदारों पर उचित कार्रवाई हो।
> *यह मामला बताता है कि यदि समय रहते ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई न की गई, तो नगर पंचायतों में पारिवारिक व राजनीतिक लाभ के लिए नियमों की धज्जियां उड़ती रहेंगी।*