देवल संवाददाता,मऊ। जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र ने बताया कि स्पांसरशिप के तहत पात्र बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक चार हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जा रही है। आवेदन करने के बाद पात्रता की जांच होती है और फिर लाभ मिलता है।उन्होंने बताया कि योजना के लिए पात्र वे बच्चे,जिनके माता-पिता की मृत्यु हो गई हो,मां तलाकशुदा या परिवार से अलग हो गई हो।जिनके माता-पिता या उनमें से कोई एक गंभीर अथवा जानेलवा बीमारी से ग्रसित हों।ऐसे बच्चे,जो बेघर हैं,निराश्रित हैं या विस्थापित परिवार के साथ रह रहे हैं।जो कानून से संघर्षरत हैं,जिन्हें बाल तस्करी,बाल विवाह,बाल श्रम,बाल भिक्षावृत्ति से मुक्त कराया गया हो।ऐसे बच्चे जो किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार हों,दिव्यांग, लापता या घर से भागे हुए हैं।जिनके माता-पिता या उनमें से एक कारागार में निरुद्ध हैं या एचआइवी एड्स से ग्रसित बच्चे जिन बच्चों के माता-पिता आर्थिक,शारीरिक या मानसिक रूप से देखभाल में असमर्थ हों।वे बच्चे,जिनको सहायता एवं पुनर्वास की आवश्यकता हो।जो बच्चे फुटपाथ पर जीवनयापन कर रहे, प्रताड़ित,उत्पीड़ित या शोषित हों।अभिभावक की आय सीमा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतम 72 हजार रुपये वार्षिक
शहरी क्षेत्रों में अधिकतम 96 हजार रुपये सालाना (माता-पिता दोनों अथवा वैध संरक्षक की मृत्यु होने की स्थिति में अधिकतम आय सीमा का नियम लागू नहीं)आवेदन के लिए ये चाहिए।माता-पिता या अभिभावक व बच्चे का आधार कार्ड,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र,अभिभावक का मृत्यु प्रमाण पत्र,शिक्षण संस्थान में पंजीयन का प्रमाण पत्र।