अंबेडकर नगर के जिला अधिकारी अनुपम शुक्ला क्या करते हैं कार्रवाई,देखना है।
कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।प्रत्येक जिले में शासन के मनसा अनुसार नागरिक उड्डयन विभाग का जमीन होता है। नागरिक उड्डयन विभाग समय के अनुसार नागरिकों की सुविधा को देखते हुए संबंधित विभाग में एयरपोर्ट का निर्माण करती है। जिससे उस जिले का विकास होता है। एयरपोर्ट बन जाने की वजह से दूर दराज देशों में रहने वाले नागरिकों को एवं संबंधित जिले के लोगों को आवागमन में सुगमता होती है।
लेकिन जब उस जिले के जिला अधिकारी के संज्ञान में रहने वाले अधीनस्थ कर्मचारी उस जमीन को अपने बाप की जागीर समझ लेते हैं तो तब उस जिले का विकास रुक जाता है।
यही हाल आज अंबेडकरनगर जिले का हुआ है । अंबेडकर नगर जिले में उड्डयन विभाग की जमीन का जिस तरह से जिलाधिकारी के कार्यालय में रहने वाले स्टेनो बाबू बब्बन सिंह ने किया है। वह बहुत ही सोचनीय है। बब्बन सिंह के निगाहो में उड्डयन विभाग अंबेडकर नगर की जमीन आंखों में समा गई। वह किसी तरह से उड्डयन विभाग की जमीन को अपनी पत्नी निशा सिंह के नाम 3 जनवरी 2011 को आदेश करवा अपने नाम करवा लिया और उसी जमीन को 17 जनवरी 2011 को भाना देवी पत्नी उदय राज यादव निवासी मछली गांव तहसील जलालपुर के नाम बेच दिया।उड्डयन विभाग की जमीन के दूसरे घाटे को कमनापुर टांडा निवासी राम शंकर सिंह विजय शंकर सिंह पुत्र शीतला प्रसाद सिंह के नाम भी हो गया कहीं ना कहीं इन दोनों के नाम में भी बब्बन सिंह की संकल्पिता जाहिर होती है। जिस तरह से जमीन का बंदर बाट हुआ है कहीं ना कहीं अकबरपुर तहसील के तत्कालीन रहे उप जिलाधिकारी लेखपाल की भी भूमिका संदिग्ध है।
बब्बन सिंह जिलाधिकारी अंबेडकर नगर के कार्यालय में स्टोने बाबू के रूप में लोगों के द्वारा बताया गया कि लगभग 15 साल से कार्यरत है इन 15 सालों में जिले के विभिन्न तहसीलों में बाबू के रूप में इनका ट्रांसफर किया जाता है। यह ट्रांसफर सिर्फ कागजों में होता है। वह आज तक किसी भी कार्यालय में कार्यभार सिर्फ कागजों में ही ग्रहण किए हैं लेकिन इन 15 सालों में उन्होंने पूरे जिले को घून की तरह चाल दिया है।
अब तक रहे जिलाधिकारी ने भी स्टेनो बाबू बब्बन सिंह को तो नहीं हटा पाए। अब देखना है कि वर्तमान में जिलाधिकारी कहां तक बब्बन सिंह की जांच कर कार्रवाई कर पाते हैं। वैसे कहा जाता है कि जिले के कमांउ विभागों में पोस्टिंग करवाने में भी बब्बन सिंह की सहमति लेना अनिवार्य होता है।