कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।अंबेडकर नगर जनपद, के क्षेत्र में कमीशन खोरों का जाल इस कदर फैल चुका है कि बैंक ऋण न मिलने से तंग आकर युवाओं को अब उनकी शरण में जाना पड़ रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार की तमाम ऋण संबंधी योजनाएं बैंक अधिकारियों की हीला हवाली के कारण ठंडे बस्ते में जाती दिख रही हैं। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना के तहत जनपद को 2200 लाभार्थियों का लक्ष्य मिला था। अब तक 1790 आवेदन बैंकों को भेजे जा चुके हैं, परंतु इनमें से महज 369 आवेदनों को ही स्वीकृति मिल पाई है। और तो और, स्वीकृत आवेदनों में से भी सिर्फ 193 लाभार्थियों को ही अब तक ऋण की धनराशि वितरित की जा सकी है।
जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला ने बीते बुधवार को योजना की समीक्षा बैठक के दौरान इस स्थिति पर कड़ा असंतोष जताया। बैठक में उपायुक्त उद्योग यस यस सिद्दीकी, अग्रणी जिला प्रबंधक कमलेश भास्कर समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। जिलाधिकारी ने सभी विभागों को निर्देशित किया कि आगामी 5 माह के भीतर अपने-अपने लक्ष्यों की पूर्ति करें। बैठक में यह तथ्य भी सामने आया कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने अब तक सबसे अधिक आवेदन स्वीकृत किए हैं, जबकि अन्य बैंक लक्ष्य से काफी पीछे हैं। डीएम ने सख्त लहजे में कहा कि बैंक शाखावार निर्धारित लक्ष्य को समय से पूर्ण करें। उन्होंने उपायुक्त उद्योग और अग्रणी जिला प्रबंधक को सभी शाखा प्रबंधकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपर्क कर प्रगति की समीक्षा और समस्याओं की जानकारी साझा करने का निर्देश भी दिया। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब शासन की ओर से 2200 लाभार्थियों का लक्ष्य निर्धारित है, तो 1769 आवेदनों के बाद भी महज 369 को ही स्वीकृति क्यों मिली? और जिन 193 लोगों को ऋण मिला, क्या वही इस योजना के वास्तविक लाभार्थी हैं? बैंकों की सुस्ती और बेरुखी के चलते युवा ना तो अपने उद्योग की शुरुआत कर पा रहे हैं, ना ही भविष्य के सपने संजो पा रहे हैं। मजबूरी में वे कमीशन खोरों की तरफ रुख कर रहे हैं, जिससे वे आर्थिक शोषण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं।
सरकार की मंशा स्पष्ट है कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए, लेकिन जब तक बैंक प्रणाली में पारदर्शिता और तत्परता नहीं आती, तब तक यह सपना अधूरा ही रहेगा।