देवल संवाददाता, गोरखपुर ।चिड़ियाघर के अस्पताल में रह रहे तेंदुए के दो शावक भी बर्ड फ्लू से संक्रमित हैं। शावकों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसकी वजह से इनपर खतरा बढ़ गया है। प्राणि उद्यान के चिकित्सक दोनों को आइसोलेशन में रखकर इलाज कर रहे हैं।
करीब एक माह पहले बलरामपुर से रेस्क्यू कर तेंदुए के दो शावक शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के अस्पताल लाए गए। उस समय दोनों की उम्र करीब एक माह थी। मां से बिछड़ने के बाद इन्हें रेस्क्यू किया गया था। अस्पताल में रहने की वजह से यह बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए।
चिकित्सकों का कहना है कि मां का दूध पीने से शावकों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। लेकिन, ये कुछ ही दिन बाद बिछड़ गए थे। बर्ड फ्लू से सबसे अधिक खतरा उम्रदराज और कम उम्र के जानवरों को रहता है। हालांकि, संक्रमण की पुष्टि होने के बाद इनका इलाज किया जा रहा है, जहां इनकी स्थिति सामान्य है।
शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में बाघिन शक्ति की मौत में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। इसके बाद चिड़ियाघर प्रशासन ने दूसरे वन्यजीवों का सैंपल जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजा था। 23 मई को आई रिपोर्ट में बाघिन मैलानी, तेंदुए के दो शावक, हिमालयन गिद्ध और कॉकाटील में संक्रमण की पुष्टि हुई।
पांच वन्यजीवों की हो चुकी है मौत
चिड़ियाघर में डेढ़ माह के अंदर पांच जानवरों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ केसरी की मौत सबसे पहले हुई थी। इसके बाद पांच मई को मादा भेड़िया भैरवी, सात को बाघिन शक्ति और आठ मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई थी। 23 मई को एक कॉकाटील की मौत भी हो गई थी।
मांसाहारी जानवरों को पिला रहे मिनरल वाॅटर
चिड़ियाघर में विशेषज्ञों ने पानी में संक्रमण की आशंका जताई थी। निरीक्षण पर आए प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा था कि वन्यजीवों को अब पीने के लिए मिनरल वॉटर दिया जाए। इसके बाद से ही चिड़ियाघर प्रशासन मांसाहारी वन्यजीवों को मिनरल वॉटर दे रहा है।