वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने एक बार फिर से डिफेंस प्रोजेक्ट में लगातार देरी का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कि हम यह जानते हुए भी कांट्रैक्ट साइन कर लेते हैं कि सिस्टम समय से नहीं मिलेगा। इससे हमारी रक्षा तैयारियों पर असर पड़ता है।
इससे पहले आठ जनवरी को उन्होंने तेजस विमानों की डिलीवरी में देरी पर कहा था कि 2010 में 40 तेजस का ऑर्डर दिया गया था लेकिन वायुसेना को अब तक ये विमान नहीं मिले हैं। आइये जानते हैं देश में कौन से अहम डिफेंस प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं और वायुसेना प्रमुख बार-बार इसको लेकर चिंता क्यों जता रहे हैं।
तेजस विमानों की डिलीवरी
83 तेजस एमके1ए विमानों का ऑर्डर 2021 में एचएएल को दिया गया
48,000 करोड़ रुपये में भारत सरकार और एचएएल के बीच हुई थी डील
मार्च, 2024 में शुरु होनी थी तेजस विमानों की डिलीवरी
अमेरिका से जी ई 404 इंजन मिलने में देरी के कारण वायुसेना को समय से नहीं मिले विमान
97 औार तेजस विमान वायुसेना को मिलने हैं 83 विमानों की डिलीवरी पूरी होने के बाद
एचएएल का वादा
एचएएल ने जीई से इंजन की आपूर्ति शुरू होने के बाद तेजस की उत्पादन क्षमता बढ़ा कर सालाना 16 विमान करने का वादा किया है। उत्पादन में निजी क्षेत्र को भी शामिल करने का प्लान है। देखना होगा कि यह वादा पूरा होता है या नहीं।
एडवांस्ड मीडियम कांबैट एयरक्राफ्ट
पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान को एएमसीए को मिली मंजूरी
पहला प्रोटोटाइप 2026-27 तक तैयार होने की उम्मीद थी
देरी के साथ 2028-29 तक उड़ान भर सकेगा पहला प्रोटोटाइप विमान
2032-33 तक सीरीज उत्पादन शुरू होने की संभावना
2035 तक हो सकेगा वायुसेना में शामिल
दशकों से चल रहा है स्वदेशी जेट इंजन पर काम
कावेरी प्रोजेक्ट लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी तकनीक से जेट इंजन बनाने के लिए 1989 में कावेरी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। फंड मिलने में देरी और तकनीकी चुनौतियों के कारण प्रोजेक्ट पिछड़ता रहा।
पहले तय किया गया था तेजस विमान में स्वदेशी कावेरी इंजन लगाया जाएगा, लेकिन क्षमता कम होने के कारण इसे तेजस प्रोग्राम से अलग कर दिया गया। अभी रूस में कावेरी इंजन का परीक्षण चल रहा है। फिलहाल इसे स्टेल्थ यूएवी में लगाने के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। स्वदेशी जेट इंजन बनाने की जद्दोजहद अभी जारी है।
वायुसेना प्रमुख क्यों जता रहे हैं देरी पर चिंता
वायुसेना लंबे समय से लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है
42 स्क्वाड्रन होने चाहिए, 31 स्क्वाड्रन रह गए घट कर
पिछले 25 वर्ष में खरीदे गए हैं सिर्फ 36 राफेल
चीन की वायुसेना तेजी से शामिल कर रही है पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान
पाकिस्तान को भी चीन से मिल रहे हैं उन्नत लड़ाकू विमान
भविष्य के संघर्ष में वायुसेना की होगी अहम भूमिका
हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष काफी हद तक एक दूसरे के एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाने और हवाई श्रेष्ठता साबित करने से जुड़ा था। लड़ाकू विमानों ने अपने देश की सीमा में रहते हुए ही दूसरे देश में लक्ष्यों को निशाना बनाया। साफ है कि भविष्य में होने वाले संघर्ष में वायुसेना की भूमिका निर्णायक होगी।