देवल संवादाता,वाराणसी । जिले में कोरोना की दस्तक के बाद सरकारी अस्पतालों में जांच की व्यवस्था शुरू तो हो गई है, लेकिन कोविड जांच के लिए पर्याप्त वीटीएम (वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम) ही नहीं है। स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग किसी तरह आईएमएस बीएचयू से 200 वीटीएम लेकर काम चला रहा है। संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है और वीटीएम का संकट है, ऐसे में संक्रमण से जंग जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है।
कोरोना के नए वैरिएंट के केस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से लक्षण वाले मरीजों के जांच को लेकर जितनी सतर्कता दिखनी चाहिए, वो दिख नहीं रही है। आनन-फानन में जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में जांच करवाने का निर्णय लिया गया है, लेकिन इसके लिए किए जाने वाले इंतजाम नाकाफी हैं।
स्थिति यह है कि पूरे जिले में जांच के लिए वीटीएम ही नहीं है। यूपी में लखनऊ सहित अन्य जिलों में केस मिलने के साथ ही बीएचयू में दो मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जब जांच की तैयारी देखी तो पता चला कि सैंपल कलेक्ट कर उसको जांच केंद्र तक ले जाने के लिए वीटीएम ही नहीं है।
किसी तरह आईएमएस बीएचयू के माइक्रो बायोलॉजी लैब से 200 वीटीएम मांगकर जांच करवाई जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार सर्दी, जुकाम, बुखार, सांस फूलना सहित वायरल फीवर जैसे लक्षण मिलने पर लोगों से जांच करवाने की अपील की जा रही है। शास्त्री अस्पताल रामनगर में तो बुधवार से जांच शुरू भी हो गई है। ऐसे में वीटीएम का संकट दूर न होने से समस्या बढ़ सकती है।
सभी सरकारी अस्पतालों में कोरोना की जांच सुचारू रूप से चल सके, इसके लिए दिल्ली से पर्याप्त वीटीएम मंगाया जा रहा है। फिलहाल आईएमएस बीएचयू से जो वीटीएम लिया गया है, वो संबंधित अस्पतालों को भिजवा दिया गया है। जिले में लक्षण वाले मरीजों को किसी तरह के जांच का कोई संकट नहीं होगा। - डॉ. संदीप चौधरी, सीएमओ
क्या है वीटीएम
आईएमएस बीएचयू के माइक्रो बायोलॉजी के प्रो. गोपालनाथ के अनुसार वीटीएम का मतलब है वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम, जो एक तरल माध्यम है। इसका उपयोग वायरस के नमूनों को संरक्षित करने और प्रयोगशाला में ले जाने के लिए किया जाता है।
यह नमूने को खराब होने से बचाता है, खासकर आरएनए वायरस के नमूनों को, जब तक कि उन्हें अल्ट्रा लो टेम्परेचर फ्रीजर या लिक्विड नाइट्रोजन में स्टोर न किया जाए। इसके मुख्यत: उपयोग वायरस के नमूनों को संरक्षित रखने में किया जाता है। यह नमूने को सड़ने से बचाता है और उनकी गुणवत्ता बनाए रखता है। यह नमूनों को सुरक्षित रूप से प्रयोगशाला में ले जाने के लिए एक माध्यम प्रदान करता है।