कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।आजमगढ़ जनपद के अतरौलिया में करोड़ों की लागत से बना राजा जयलाल सिंह सौ सैया संयुक्त जिला चिकित्सालय डॉक्टरों की गैर हाजिरी एवं स्वास्थ्य कर्मियों की घोर लापरवाही के कारण लोग काल के गाल में समाने के लिए मजबूर हो रहे हैं ।
बताते चलें कि छितौनी (पाण्डेय का पूरा) निवासी विकास पांडेय अपनी माता जी को लेकर अतरौलिया पीजीआई में भर्ती थे वहां के स्वास्थ्य कर्मचारियों के के दुर्व्यवहार एवं घोर लापरवाही के कारण अपने माता की जान पर बनती देख किसी तरह एक निजी अस्पताल में इलाज करवाने को मजबूर हुए तो वहीं पर चिकित्सकों की घोर लापरवाही एवं गैर मौजूदगी के कारण एक युवक को जान गवानी पड़ गई ।
गौरतलाप बात यह है कि इलाज के दौरान जब पीजीआई में भर्ती युवक की हालत अति गंभीर होने लगी तो भारतीय मरीज के भाई ने जाकर स्वास्थ्य कर्मियों से गुहार लगाया तो पता चला कि डॉक्टर और फार्मासिस्ट कहीं और चले गए हैं जब वहां पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से डॉक्टर और फार्मासिस्ट का नंबर मांगा तो उन्होंने नंबर देने से साफ इन्कार कर दिया।
बाहर लिखे हुए पीजीआई के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को जब फोन लगाया तो उनकी तरफ से भी किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली बल्कि स्वास्थ्य चिकित्सा अधीक्षक का मोबाइल फोन बंद हो गया तो मजबूर होकर जिलाधिकारी आजमगढ़ से अपने मरीज की जान की गुहार लगाई तो जिलाधिकारी आजमगढ़ से गुहार लगाना उक्त युवक को भारी पड़ गया।
जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के उपरांत चिकित्सक तो आए मगर फटकार के अतिरिक्त इलाज नहीं किया जिसके दौरान मिन्नते करते समय ही लगभग 35 वर्षीय नवयुवक के प्राण पखेरु उड़ गए।प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त नवयुवक को पहले से कोई बीमारी नहीं थी, दो तीन दिन से भीषण गर्मी के कारण भोजन ना कर पाने की समस्या थी जिससे काफी कमजोरी आ गई थी और प्रातः खाली पेट पानी पी लेने के कारण पेट का दर्द शुरू हो गया था जिसके लिए अपने घर से महज 500मीटर दूर स्थित अतरौलिया पीजीआई में पानी की कमी को दूर करने हेतु ग्लूकोस की बोतल लगवाने गया था लेकिन वहां पर उसे वह भी नहीं लगाया गया, बल्कि विलंब से आए चिकित्सक द्वारा यह कह कर चला जाना कि अभी आराम मिल जाएगा तब तक उसकी हालत बिगड़ और जान चली गई ।
अब प्रश्न यह बनता है कि उपरोक्त घटना के लिए जिम्मेदार कौन है , अगर यह घटना किसी निजी अस्पताल में घटी होती तो अब तक उसे सील करके जेल भेजने की बड़ी कार्यवाही हुई होती जबकि इन पर इस प्रकार के लापरवाही का आरोप अक्सर लगता रहता है और कार्यवाही शून्य रहती है ।अब देखना यह है कि नवागत जिलाधिकारी रविन्द्र कुशवाहा इस पर क्या कार्यवाही करते है ।