देवल संवादाता,वाराणसी |अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में बाबा की मंगला आरती में चक्र पुष्करणी मणिकर्णिका कुंड के जल से अभिषेक किया गया। इस दौरान मंत्रोच्चार से धाम गूंज उठा।
बता दें कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं, अतः दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है। अक्षय का अर्थ होता है जिसका क्षय न हो।
माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता, इसी क्रम में श्री काशी विश्वनाथ के चरणों में 11 गगरा चक्र पुष्करणी कुंड का जल अर्पित किया गया।
श्रीहरि बद्रीनारायण स्वरूप का भव्य श्रृंगार
अक्षय तृतीया के अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित श्रीहरि विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का भव्य एवं दिव्य श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा सनातन परंपरा का निर्वाह करते हुए एक और महत्वपूर्ण पहल की गई।
अक्षय तृतीया यानी बुधवार से पवित्र श्रावण मास तक भगवान श्रीकाशी विश्वनाथ के विग्रह पर "कुंवरा" की स्थापना की गई। हर साल की तरह ये श्रद्धालुओं के बीच सनातन आस्था की जीवंत परंपरा को सुदृढ़ करता है। यह कुंवरा विशेष रूप से शिवलिंग पर निरंतर जलाभिषेक के उद्देश्य से लगाया जाता है, जो शीतलता, शुद्धता एवं साधना का प्रतीक माना जाता है।