देवल संवाददाता,मऊ। विकसित देशों की अपेक्षा भारत में मातृ-शिशु की मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है। इस दिशा में सार्थक पहल करते हुए अधुना परियोजनना के माध्यम से प्रसव कराने वाले चिकित्सकों के साथ उनके स्टाफ को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिशु को गर्भ में आने से लेकर प्रसव के दौरान होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव,बच्चे को सांस लेने में परेशानी,बच्चे का पेट में फंस जाने सहित प्रसव के बाद सुरक्षित रखरखाव पर इस परियोजना में विशेष ध्यान दिया गया है। फॉग्सी अध्यक्ष डॉ एकिका सिंह ने यह उदगार महत्वाकांक्षी अधुना परियोजना के उदघाटन पर रविवार को गाजीपुर तिराहे पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किया।डॉ सिंह ने बताया कि फॉग्सी नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सुनीता तेंदुलवालकर एवं प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ जयदीप टैंक के तत्पर प्रयास एवं बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से देश में इप्सा,ग्लोबल हेल्थ सर्विसेज,सत्व एवं एफआरएचएस इसका संचालन किया जा रहा है। वाराणसी से डा रितु खन्ना,दिल्ली से डा अनीता सभरवाल एवं मऊ से डा एकिका सिंह ने महिलाओं में खून की कमी, प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव तथा गर्भवती महिला एवं शिशु सुरक्षा विषय पर उपस्थित सभी चिकित्सकों एवं स्टाफ को विस्तार से प्रशिक्षित किया। बताया कि गर्भधारण से लेकर प्रसव होने के उपरांत तक जच्चा-बच्चा की संपूर्ण देखभाल किया जाएगा। प्रसव के दौरान रक्तस्राव होने के कारण खून की कमी से कुछ महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। ऐसे लगने वाले इंजेक्शन को लगाने की विधि,इसे कब और कैसे लगाया जाता है जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारी होने से मृत्यु दर को बहुत कम किया जा सकता है। इस दौरान में पूर्व फॉग्सी जिलाध्यक्ष डॉ कुसुम वर्मा,डॉ जूड, डॉ मधुलिका सिंह,डॉ माला मित्तल, डॉ नलिनी सिंह,डॉ प्रमोदिता,डॉ शालिनी, डॉ फराह,डॉ उषा,डॉ प्रतिमा सिंह सहित जिले भर के सभी स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ अपने स्टाफ के साथ उपस्थित रहीं। अतिथियों का स्वागत डॉ संजय सिंह एवं डॉ सुजीत सिंह ने किया।